यदि कोई सुसाइड करने जा रहा हो और राम कथा सुन ले तो वह सुसाइड कर ही नहीं सकता -रत्नेश प्रपन्नाचार्य

यदि किसी मठ मंदिर में, देवालय में या धर्मस्थल पर कथा हो रही हो तब निमंत्रण की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए*

(मदन खाण्डेकर)

गिधौरी। शिवरीनारायण मठ में संगीतमय श्री राम कथा के द्वितीय दिवस अनंत श्री विभूषित श्री स्वामी रत्नेश प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने श्रोताओं को श्री राम कथा का रसपान कराते हुए कहा कि -श्री रामचरितमानस का शुभारंभ शिव चरित्र से हुआ है। गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज के आराध्य प्रभु श्री रामचंद्र जी हैं लेकिन उन्होंने शिवजी से कथा प्रारंभ की इसका तात्पर्य यह है कि जब तक शिव जी के जीवन दर्शन को हम समझ नहीं लेते तब तक राम कथा के अधिकारी नहीं बन सकते!

जब तक हमारे हृदय में श्रद्धा और विश्वास नहीं होगी तब तक हम राम कथा के अधिकारी हो ही नहीं सकते! राम तर्क से परे हैं वह हमारे मन और बुद्धि से भी परे है। पहले इस्तेमाल करें फिर विश्वास करें चलने वाला नहीं है यहां तो पहले विश्वास ही करना पड़ेगा। श्री रामचरितमानस क्या है ? इसे यदि हम एक वाक्य में समझना चाहें तो हम कह सकते हैं कि विश्वास से विश्राम तक की यात्रा ही श्रीरामचरितमानस है। कथा वह है जिसे सुनने से श्रोता के मन में भगवान से मिलने की उत्कंठा जागृत हो जाए पानी के पड़ते ही धरती में जिस तरह का बीज होता है वैसा ही पौधा उत्पन्न हो जाता है। सती के हृदय में संशय और शिवजी के हृदय में हर्ष का बीज पहले से उपस्थित था। इसलिए राम जी की लीला चरित्र को देखकर एक के हृदय में संशय और दूसरे के हृदय में हर्ष उत्पन्न हुआ। हमें भगवत प्राप्ति के लिए पहले भगवान की कथा सुननी चाहिए फिर उनका दर्शन करना चाहिए नहीं तो बिना श्रवण किये यदि भगवान हमारे सामने उपस्थिति भी हो जाए तो हम उन्हें पहचान नहीं पाएंगे। विद्वान आचार्य ने कहा कि जीवन में संघर्ष से भागना नहीं जागना सीखो। जो संघर्ष में जागना सीख जाते हैं उनका जीवन सफल हो जाता है समाज की वर्तमान स्थिति पर दृष्टिपात करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में लोगों के जीवन पद्धति में बहुत परिवर्तन हुआ है लोग छोटी-छोटी बातों से आहत होकर आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं यह उचित नहीं है।

भारतीय जीवन दर्शन हमें इतना कायर नहीं बनता कि हम सुसाइड कर ले! यदि जीवन में बड़े से बड़ा दुख आ जाए, बड़े से बड़ी असफलता मिले तो भगवान रघुनाथ जी का ध्यान कर लेना दुख मिट जाएगा। एक बात ध्यान रखना यदि कोई सुसाइड करने जा रहा हो और राम कथा सुन ले तो वह सुसाइड कर ही नहीं सकता !भगवान राम और कृष्णा जी के जीवन में जितनी समस्याएं आई है उतना किसी भी व्यक्ति के जीवन में नहीं। उन्होंने कहा कि हमें गुरु के घर में, भाई के घर में, मित्र के घर में और भगवान के घर में बिना निमंत्रण के जाना चाहिए‌ यदि किसी मठ मंदिर, देवालय या धार्मिक स्थल पर कथा हो रही हो तब निमंत्रण की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए वहां पहुंचना ही सौभाग्य की बात है हम वैष्णवों के जीवन के दो सूत्र हैं काम हो जाए तो प्रभु कृपा और ना हो तो हरी इच्छा माननी चाहिए। मंच पर हमेशा की तरह महामंडलेश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज कथा श्रवण करने के लिए विराजित थे।

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