अंबेडकर जयंती विशेष : एससी-एसटी उपयोजना-बजट अधिकार दिवसˮ के रूप में मनाएगे अम्बेडकर जयंती

(पंकज कुर्रे)

RAIPUR / जांजगीर चांपा। विगत दिनों नेशनल अलाइंस फॉर सोशल जस्टिस के ओर से 18 राज्यों के दलित संगठनों व आंदोलन के नेत्रत्वकारी साथियों के तीन दिवसीय चिंतन शिविर में दलित वर्ग के आर्थिक मुद्दे पर गंभीर चर्चा  में ˮएससी-एसटी उपयोजना” के लिये छत्तीसगढ़ सहित सभी राज्यों व केन्द्र सरकार द्वारा कानून बनाने  हेतु रणनीति पर निर्णय लिया गया.

दलितों और आदिवासियों के लिए”उप-योजनाओं”(Sub-Plans) को राष्ट्रीय कानून बनाये जाने के संदर्भ में   “नेशनल अलायस फॉर सोशल जस्टिस”-(NASJ) में एवं अन्य संगठनों के साथियों ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जी (Leader of the Opposition Rahul Gandhi) को ज्ञापन दिया और देश भर में एससी एसटी बजट में बड़े पैमाने पर हो रही लूट के बारे में अवगत कराया और उनसे अपील की गई है कि इस मामले को संसद में उठाए।। हम अन्य विपक्षी दलों को भी अपील कर रहे हैं कि हमारी इस मांग को सुने और सरकार से इसे लागु करवाने का दबाव बनाए। क्योंकि यह इस देश की 25 %(दलित,आदिवासी) (dalits, adivasis) आबादी के भविष्य का सवाल हैं। वर्ष 2024-25 का केंद्रीय बजट 48,20,512 करोड़ रुपये है, जिसमें से 1,65,493 करोड़ रुपये (3.43%) अनुसूचित जाति के लिए और 1,32,214 करोड़ रुपये (2.74%) अनुसूचित जनजाति के लिए आवंटित किए गए हैं, जबकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की योजनाओं के अनुसार उन्हें क्रमशः 7,95,384 और 3,95,281 करोड़ रुपये आवंटित करना चाहिए था।

पिछले वर्षों की तरह ही इस वर्ष 2025-26 के बजट में एससी के आबादी के हिसाब 16.5 प्रतिशत हिस्सेदारी के हिसाब से 5065345 लाख करोड़ में 835,782 लाख करोड़ आवंटन होना चाहिए था लेकिन मिला 168479 लाख करोड़ जो कुल बजट का सिर्फ (3.32) प्रतिशत ही है। इस बार भी लगभग 6 लाख करोड़ सरकार के तरफ से कम आवंटन किया गया। केंद्रीय बजट ने जनसंख्या के अनुसार बजट आवंटित करने में बड़ी असफलता दिखाई दी है और इससे स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की समाजिक सुरक्षा एवं  विकास की चिंता नहीं है । ठीक इसी तरह हम छत्तीसगढ़ के 2025 – 26 का बजट देखेंगे तो यहाँ पर अनुसूचित जाति जन जाति उप योजना मे कुछ भी राशि का आबंटन नहीं दीखता।
अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए योजनाओं के नाम पर सरकार उद्योग जगत का हित कर रही है। इस केंद्रीय बजट में, केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए बनाई जाने वाली योजनाओं की जगह  अन्य क्षेत्रों में पैसे आवंटित कर दिए हैं (जैसे दूरसंचार, सेमीकंडक्टर, लार्ज स्केल इंडस्ट्रीज, परिवहन उद्योग, उर्वरक आयात, रासायनिक उत्पादन पूरे देश में राशन ले आने और ले जाने का खर्च एवं म्यूजियम बनाने का खर्च, सफाई के उपयोग में आने वाले बड़े मशीनों का खर्च, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस मिशन आदि आदि) जो कि दलित आदिवासियों से सीधे कुछ भी लेना देना नहीं हैं। जो अनुसूचित जाति उपयोजना एवं अनुसूचित जन जाती योजना की मूल आत्मा के साथ खिलवाड़ किया है।

आपको अवगत कराना चाहते हैं कि देश के पांच राज्यों में एससीपी योजना को कानूनी दर्जा बनाया जा चुका है। जिसमे तेलांगना सरकार द्वारा हजारो एकड़ जमीन स्पेशल कंपोनेंट प्लान के बजट से खरीद कर हजारों भूमिहीन दलित आदिवासी परिवारों को बाटा गया है वही एससीपी के बजट से ही हजारों परिवारों को रोजगार हेतु अरबो रुपए अनुदान दिए गए हैं। एवम स्वास्थ,शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं हेतु बजट खर्च किया गया है।एवं हजारों आवासीय विद्यालयों का निर्माण करवाया गया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 46 में कहा गया है: राज्य यानि सरकार समाज के कमजोर वर्गों के, विशेष रूप से,  अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के शैक्षिक और आर्थिक हितों की रक्षा करेगा और उन्हें सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार का शोषण से बचाएगा”। अनुच्छेद 46 के कारण ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति विशेष घटक/उप योजना या अन्य लाभ प्रदान किये जाते हैं। लेकिन दुखद पहलू यह है कि आजादी के 77 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के हितों की अनवरत अनदेखी की जा रही है। अभी तक केंद्र सरकार में अनुसूचित जाति के लिए कोई समर्पित मंत्रालय नहीं है। वर्तमान में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय अनुसूचित जातियों, पिछड़ी जातियों के कल्याण को जोड़ता है।

साथियों !  ˮएससी-एसटी उपयोजना” के तहत दलित वर्ग की जनसँख्या के अनुपात में राज्य व केन्द्र सरकार  बजट से राशि के आवंटन के मुद्दे पर “नेशनल अलायस फॉर सोशल जस्टिस”” ने   देश भर में 14 अप्रैल बाबा साहेब डा0 अंबेडकर की जयंती पर ˮएससी-एसटी उपयोजना-बजट अधिकार दिवसˮ  के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है।
जिसमें तय हुआ है कि डॉ आंबेडकर जयंती प्रेस वार्ता से हम बजट को लेकर अपनी निम्न प्रमुख मांगों को लेकर जनता के बीच एक बड़े अभियान के तहत जनता के बीच जायेगें।

1–राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति विकास नीधि कानून बनाया जाए।

2–अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या के अनुपात में बजट का प्रावधान सुनिश्चित किया जाए।

3–अनुसूचित जाति कल्याण के लिए एक समर्पित मंत्रालय की स्थापना की जाए।

4–इसी सत्र के बजट से एससी एसटी के छात्रों को उच्च शिक्षा में जीरो बजट में दाखिला करवाए एवम सभी को छात्रवृति देने की गारंटी करें।

5–तेलांगना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटका राज्य के तर्ज पर उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश के भूमिहीन दलित आदिवासियों को स्पेशल कंपोनेंट प्लान के बजट से भूमि आवंटन कराया जाए

6–शहरी गरीब दलित, आदिवासियों,खासकर सफाईकर्मी परिवारों को इस बजट से निजी आवास उपलब्ध कराई जाए

7–स्पेशल कंपोनेंट प्लान बजट से देश भर में एससी एसटी के लिए निजी उद्योग,कारखानों का निर्माण के लिए अनुदान दिया जाए ताकि देश के लाखो बेरोजगार एससी एसटी युवाओं को रोजगार मिल सके।
8– अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति विशेष घटक/उप योजना के बजट को तमाम मंत्रालयो के माध्यम से आवंटन ना कर के अनुसूचित जाति के लिए नए मंत्रालय द्वारा एक जगह से आवंटन किया जाए।

9– एससी एसटी विशेष घटक/उप योजना के निगरानी के लिए एससी एसटी पीओए एक्ट की तर्ज पर राज्य,जिला एवम ब्लॉक स्तर पर निगरानी कमेटी बनाई जाए जिसके सदस्य एससी, एसटी नागरिक समाज के लोगो को नामित किया जाए

दलित आदिवासी के बजट की सारी राशि उनके सामाजिक आर्थिक शैक्षणिक और रोजगार के लिए ही व्यय किया जाए बजट को अन्य कामों में ना खर्च किया जाए।।ज्ञात हो कि मौजूदा केंद्र सरकार अनुसूचित जाति उपयोजना एवं अनुसूचित जन जाती योजना के बजट को अनुचित रूप से अन्य गैर जरूरी कामों में आवंटित किया है।
यह भारतीय संविधान की अवसरों की समानता और सामाजिक न्याय की भावना का उल्लंघन है
जिसका उदाहरण है कि दलित आदिवासीयो के बजट से कभी हजारों करोड़ रुपए  कुंभ में,मेट्रो ट्रेन निर्माण में, गौशाला,गौ सेवा केंद्र निर्माण में,बिहार में पुलिस थानों के निर्माण,यूपी मध्य प्रदेश में मंदिर निर्माण  सड़क पुल निर्माण आदि अन्य तमाम मदो में बजट को खर्च किया जा रहा है। जिसपर तत्काल रोक लगाई जाय।

बजट के दुरुपयोग की जांच कर जवाबदेही ली जाए:  देश में गरीबी रेखा से नीचे सबसे ज्यादा दलित आदिवासी अतिपिछड़ा समाज से ही है इसलिए बजट आवंटन और खर्च के लिए इनकी संख्या की गणना करना जरूरी है।अतः हम देश में जल्दी से जल्दी जातिगत जन गणना करने की मांग करते हैं।

हमारे देश में अमीर और गरीब के बीच खाई बेहद ज्यादा है और गरीबों वंचितों के हक का उन्हीं की मेहनत से हुआ योगदान उन्हें नहीं दिया जा रहा है। बजट में आवंटित राशि समय पर जारी नहीं होती, खर्च नहीं होती। इस आर्थिक विकास के मुद्दे को उठाने में हमें मीडिया के साथियों का सहयोग चाहिए।
धन्यवाद
जय भीम जय सविधान

(सामाजिक न्याय की आधी लड़ाई,आर्थिक बजट में पूर्ण हकदारी)

भवदीय
विभीषण पात्रे
सामाजिक कार्यकर्त्ता
संयोजक
दलित अधिकार अभियान छत्तीसगढ़ एवं सदस्य
सामाजिक न्याय के लिए राष्ट्रीय समन्वय
(National alliance for social justice)
संपर्क– 9907125833, 7869836444