चैतन्य विज्ञान एवं कला महाविद्यालय पामगढ़ में वन्यप्राणी संरक्षण सप्ताह मनाया गया

(पंकज कुर्रे)

पामगढ़ । चैतन्य विज्ञान एवं कला महाविद्यालय, पामगढ़ के वानिकी विभाग एवं राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के संयुक्त तत्वावधान में 2 से 8 अक्टूबर तक वन्यप्राणी संरक्षण सप्ताह के अंतर्गत विविध जनजागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। सप्ताह के दौरान अलग-अलग दिवसों पर भाषण, स्लोगन लेखन एवं पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिनमें विद्यार्थियों ने अपनी सृजनात्मकता, जागरूकता एवं प्रतिभा का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।

 

इन प्रतियोगिताओं का उद्देश्य छात्रों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता और वन्यजीवों के प्रति सहानुभूति विकसित करना था। इस तारतम्य में बुधवार को “वन्यप्राणी संरक्षण की आवश्यकता और सामूहिक उत्तरदायित्व” विषय पर विशेष परिचर्चा का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. व्ही.के. गुप्ता, संचालक श्री वीरेंद्र तिवारी, आई.क्यू.ए.सी. प्रभारी श्री विवेक जोगलेकर, श्रीमती शुभदा जोगलेकर, डॉ. वीणापाणि दुबे, तथा डॉ. अशोक सिंह यादव विशेष रूप से उपस्थित रहे। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. व्ही.के. गुप्ता ने कहा कि वन्यप्राणी संरक्षण सप्ताह का उद्देश्य केवल वन्यजीवों की रक्षा नहीं, बल्कि मानव और प्रकृति के बीच संतुलन की उस अमूल्य डोर को सहेजना है, जिस पर जीवन का अस्तित्व टिका है।

महाविद्यालय के संचालक श्री वीरेंद्र तिवारी ने अपने वक्तव्य में कहा “वन्यजीवों का संरक्षण केवल एक पर्यावरणीय अभियान नहीं, बल्कि यह हमारे मानवीय कर्तव्यों का विस्तार है। जैव विविधता का संरक्षण, पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को सशक्त करता है। प्रत्येक नागरिक का दायित्व है कि वह अपने जीवन में प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता और सह-अस्तित्व का भाव विकसित करे।” आई.क्यू.ए.सी. प्रभारी श्री विवेक जोगलेकर ने कहा कि वन्यप्राणी संरक्षण सप्ताह, जो 1952 से प्रतिवर्ष 2 से 8 अक्टूबर तक मनाया जाता है, पर्यावरणीय पहलों में जनसहभागिता को बढ़ावा देने का एक सशक्त माध्यम है।

 

श्रीमती शुभदा जोगलेकर ने कहा कि वन्यजीवों का संरक्षण हमारी सांस्कृतिक परंपराओं और जीवन दर्शन का अभिन्न अंग है। डॉ. वीणापाणि दुबे ने कहा —

“वन्यजीव केवल हमारे पर्यावरण का हिस्सा नहीं, बल्कि हमारी पारिस्थितिकीय प्रणाली की आत्मा हैं। इस सप्ताह का उद्देश्य समाज में यह संदेश देना है कि उनके संरक्षण के बिना पृथ्वी पर जीवन की निरंतरता संभव नहीं। इस दिशा में युवाओं की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।” रासेयो कार्यक्रम अधिकारी श्री संजय बघेल ने कहा कि यह दिवस हमें वन्यजीवों के प्रति हमारी जिम्मेदारी को समझने और उनके संरक्षण में सक्रिय योगदान देने की प्रेरणा देता है। डॉ. अशोक सिंह यादव ने इस वर्ष (2025) के थीम “सेवा पर्व – प्रकृति के प्रति सेवा और उत्तरदायित्व” का उल्लेख करते हुए कहा कि यह थीम हमें प्रकृति के प्रति अपने व्यवहार और दृष्टिकोण को पुनः परिभाषित करने की प्रेरणा देता है। कार्यक्रम का संचालन वानिकी विभाग के सहायक प्राध्यापक श्री आकाश कश्यप ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन सहायक प्राध्यापक श्री प्रताप बनर्जी और रासेयो स्वयंसेवक ललित कश्यप ने प्रस्तुत किया।

 

कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण, रासेयो इकाई के स्वयंसेवक एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।