PAMGARH NEWS: आध्यात्मिक सत्संग एवं बिना दहेज के मात्र 17 मिनट में संपन्न हुआ विवाह का आयोजन

पंकज कुर्रे

पामगढ़। पामगढ़ सदभावना भवन पामगढ़ में संत रामपाल जी महाराज(Saint Rampal Ji Maharaj) के आध्यात्मिक सत्संग एवं सत्संग के पश्चात बिना दहेज के मात्र 17 मिनट में विवाह का आयोजन हुआ। आध्यात्मिक सत्संग प्रोजेक्टर स्क्रीन के माध्यम से वेद,शास्त्रों से प्रमाणित करके पूर्ण गुरु के पहचान के बारे में बताया गया।

यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 25 जो संत वेदों के अर्द्ध वाक्यों अर्थात् सांकेतिक शब्द को पूर्ण करके आपूर्ति करता है श्लोक के चौथे भागों को अर्थात आंशिक वाक्यो को स्रोतों के रूप में प्राप्त करता है अर्थात आंशिक विवरण को पूर्ण रूप से समझता और समझाता है जैसे शस्त्रों को चलाना जानने वाला उन्हें पूर्ण रूप से प्रयोग करता है ऐसे पूर्ण संत औंकारों अर्थात् ओम्-तत्-सत् मंत्रों को पूर्ण रूप से समझ व समझा कर दूध-पानी छानता है अर्थात् पानी रहित दूध जैसा तत्वज्ञान प्रदान करता है। वह पूर्ण संत वेद को जानने वाला कहा जाता है। यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 26 वह पूर्ण संत तीन समय की साधना बताता है सूर्य के उदय-अस्त से बने एक दिन के आधार से (इंद्रेण) प्रथम श्रेष्ठता से सर्व देवों के मालिक पूर्ण परमात्मा की पूजा तो प्रातः काल करने को कहता है जो पूर्ण परमात्मा के लिए होती है।

आध्यात्मिक सत्संग एवं बिना दहेज के मात्र 17 मिनट में संपन्न हुआ विवाह का आयोजन
आध्यात्मिक सत्संग एवं बिना दहेज के मात्र 17 मिनट में संपन्न हुआ विवाह का आयोजन

दूसरी (माध्यन्दिनम्) दिन के मध्य में करने को कहता है जो (वैश्वदैवम) सर्व देवताओं के सत्कार के संबंधित अमृतवाणी द्वारा साधना करने को कहता है तथा तीसरी (सवनम्) पूजा शाम को प्राप्त करता है अर्थात जो तीनों समय की साधना भिन्न-भिन्न करने को कहता है वह जगत का उपकारक संत है। यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 30 दुर्व्यसनो का व्रत रखने से अर्थात् भांग, शराब,मांस,तथा तम्बाखु आदि के सेवन से संयम रखने वाला साधक (दीक्षाम्) पूर्ण संत से दीक्षा को प्राप्त होता है अर्थात् वह पूर्ण संत का शिष्य बनता है। पूर्ण संत दीक्षित शिष्य से दान को प्राप्त होता है अर्थात् संत उसी से दक्षिणा लेता है जो उससे नाम ले लेता है। इसी प्रकार विधिवत् (दक्षिणा) गुरुदेव द्वारा बताए अनुसार जो दान-दक्षिणा से धर्म करता है उससे श्रद्धा को प्राप्त होता है श्रद्धा से भक्ति करने से (सत्यम्) सदा रहने वाले सुख व परमात्मा अर्थात अविनाशी परमात्मा को प्राप्त होता है।

 

आध्यात्मिक सत्संग के पश्चात मात्र 17 मिनट में बिना दहेज के विवाह असुर निकंदन रमैणी कबीरपंथी गरीब दास जी महाराज की वाणी के माध्यम से गुरुजी संत रामपाल जी महाराज एवं 33 करोड़ देवी-देवताओं को साक्षी मानकर भगत देवेंद्र देवांगन (ग्राम खम्हिया) के साथ भगतमती राजेश्वरी देवांगन (ग्राम बिर्रा) ब्लॉक बम्हनीडीह जिला जांजगीर-चांपा के रमैणी संपन्न हुआ। विवाह को संत भाषा में रमैणी कहा जाता है।

संत रामपाल जी महाराज के इस आध्यात्मिक सत्संग एवं विवाह (रमैणी) कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ राज्य संयोजक पंकजदास बिलासपुर संभाग संयोजक जगतदास महंत,जिला संयोजक :- मुकेश पटेल, सत्येंद्र दास, रामानंद पटेल, चंद्रमोहन, राजकुमार गबेल,श्याम साहू, राजेन्द्र साहू सभी ब्लॉक से संगत सेवादार एवं जांजगीर-चांपा जिला से अधिक संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे।

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