प्राइवेट स्कूलों में आरटीई के नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां कागजों पर ही पढ़ रहे बच्चे सरकार को लगाया जा रहा है लाखों का चुना आखिर कैसे स्कूल प्रबंधन कर रही मोटी कमाई…पढ़े पूरी खबर
बिलासपुर :- मस्तूरी जनपद पंचायत में जोंधरा से खोंदरा तक सैकड़ो ऐसे प्राइवेट स्कूल संचालित हो रहे हैं पर क्या आपको पता है कई ऐसे भी स्कूल हैं जहां आरटीई के नियमों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं कैसे वो आप इन बातों से समझ सकते हैं
1 कई ऐसे स्कूल हैं जहाँ बच्चों का नाम तो दर्ज हैं पर वो बच्चे किसी सरकारी स्कूलो या अन्य जगहों में पढ़ाई कर रहे हैं
2 फर्जी नाम से कमा रहें स्कूल प्रबंधन लाखो ये काग़ज़ों में नाम दिखा कर आरटीई से सरकार से मिलने वाली लाखो पैसा हजम कर जा रहें
3 कई ऐसे भी स्कूल क्षेत्र मे संचालित हैं जो सिर्फ काग़ज़ों में चल रहीं हैं जहाँ ना कोई टीचर हैं ना स्टूडेंट फिर भी स्कूल चल रहा हैं क्यु की इनको यहाँ से मोटी कमाई मिलती हैं
4 आपको कुछ ही ऐसे प्राइवेट स्कूल मिलेंगे जो सरकार द्वारा आरटीई के तहत पढ़ रहें गरीब बच्चों को जो सहायता राशि मिलती हैं बुक का ड्रेस का वो सब ये अजगर की तरह निगल जा रहें हैं
अगले अंक में आपको उन स्कूलो का नाम भी बतायेंगे जो गरीब बच्चों का अधिकार हक खा जा रहें हैं
क्या कहता हैं आरटीई का नियम क्या क्या मिलता है लाभ
गरीब तबके के बच्चों को अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शिक्षा के अधिकार योजना का शुभारंभ किया गया। इसके तहत गरीब तबके के बच्चों को निशुल्क शिक्षा, गणवेश एवं पुस्तकों की उपलब्धता करवाए जाने के सख्त नियम पारित किए गए।आरटीई के तहत एडमिशन लेने वाले बच्चों की फीस शासन देता है। यह अधिकतम सात हजार रुपए या स्कूल की फीस, इनमें से जो भी कम हो, निर्धारित है। इसके अलावा उनकी काॅपी-किताब और यूनिफार्म का खर्च भी शासन देता है।