आधुनिक भारत का जनक बाबा साहब अंबेडकर – डॉ. जैनेंद्र

(पंकज कुर्रे)
जांजगीर चांपा। आधुनिकता का मापदंड स्मार्टफोन पश्चात संस्कृति नहीं है आधुनिकता एक वैश्विक अवधारणा एवं वैचारिक आयाम है सिर्फ जींस पेंट टाई बेल्ट चश्मा आधुनिकता का पैमाना नहीं है बल्कि वैचारिक विकास समग्र विकास की अवधारणा से आधुनिकता परिभाषित होता है।
आधुनिकता जो पुरानी परंपराओं से भिन्न प्रगतिशील विचार है वही आधुनिक है । सी एल दोषी के अनुसार सफेद कागज पर स्याही का धब्बा जिसका आकार है भी सही और नहीं भी या वह केवल निरंकार है आधुनिकता है ।
सुशील पचौरी – आधुनिकता के व्युत्पत्तिगत अर्थ को इस प्रकार स्पष्ट करते हैं आधुनिकता जिस मॉडर्निटी शब्द का हिंदी है वह अंग्रेजी में ग्रीक मांडो क्रिया विश्लेषण से आया है जिसका हाल फिलहाल अभी का आज इस समय का समकालीन यह पुराने का विलोम है यह वर्तमान है अतीत से पृथक है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी – आधुनिकता को सामाजिक विकास की दृष्टि से परिभाषित करते हैं उन्होंने आधुनिकता की प्रक्रिया को सामाजिक विकास से जोड़कर देखा है उनकी राय में आधुनिकता का जन्म समाज के आधुनिकीकरण से उत्पन्न चिंतन और भावनाओं से होता है यह समाज के विकास की विशेष अवस्था से निर्मित मानव चेतना की विशेषता है परिवेश के प्रति जागरूकता वस्तुनिष्ठ दृष्टि अधिकता यथार्थवाद और सामाजिक मुक्ति की भावना की आधुनिकता की विशेषताएं हैं।
आखिर बाबा साहब को आधुनिक भारत का जनक क्यों कहा जाता है.. बाबा साहब किसी एक जातीय धर्म के लिए नहीं वरन पूरे संपूर्ण मानव समाज अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग दलित शोषित अशिक्षित सभी के लिए संघर्ष किया । वर्ष 1927 से लेकर 1956 के दौरान उन्होंने मूकनायक बहिष्कृत भारत समता , जनता और प्रबुद्ध भारत नायक 5 साप्ताहिक एवं पाक्षिक पत्र पत्रिकाओं का संपादन किया।
डॉ 0भीमराव अंबेडकर जी गरीब दबे कुचले अतिशोषित पिछड़ी अनुसूचित जाति के उत्थान, अस्पृश्यता निवारण के लिए यथा उम्र भर कार्य करते रहे जिस कारण इस वर्ग के मसीहा बना , भीमराव अंबेडकर जी ने बाबा साहब के ख्याति प्राप्त व लोकप्रिय हुए, साथ ही बहुज्ञ विधि वेता अर्थशास्त्री राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक रहे।
दलित बौद्ध आंदोलन दलितों से सामाजिक भेदभाव के विरोध अभियान श्रमिक किसान और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया बाबा साहब भीमराव अंबेडकर प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री भारत संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माता थे बाबा साहब अद्वितीय प्रतिभा के धनी थे उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की सामाजिक कुरीतियों और छुआछूत की प्रथा से तंग आकर सन 1956 में बौद्ध धर्म अपना लिया था सन 1990 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
बाबा साहब दुनिया में समाज सुधारक दलित राजनेता महामानव क्रांतिकारी योद्धा लोकनायक विद्वान दार्शनिक वैज्ञानिक समाज सेवी एवं धैर्यवान व्यक्तित्व होने के साथ ही साथ विश्व स्तर के विधि वेता और भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार थे । भारत के दलित सामाजिक व आर्थिक तौर से अभिशाप थे उन्हें इस साब से मुक्ति दिलाना डॉक्टर अंबेडकर के जीवन का एकमात्र संकल्प था भारतीय राजनीति में एक धुरी थे जो आज संतुलित समाज संरचना के प्रेरक व महामानव है।
1927 में अंबेडकर ने छुआछूत के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन की शुरूआत किया सार्वजनिक आंदोलन के जरिए सार्वजनिक पेयजल खुलवाने हिंदू मंदिरों में प्रवेश करने का अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया , समग्र समाज में समानता मानवता भाई चारा का संदेश दिया संविधान के तहत मौलिक अधिकार से सभी को को समान अधिकार समान जीवन जीने का हक दिया जिस कारण से ही बाबा साहब को आधुनिक भारत का जनक कहा जाता है, यद्यपि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है।
और संविधान की अनुच्छेद हमें समानता और मौलिक अधिकार प्रदान कर हमारी रक्षा करता है। अनुच्छेद 15 राज्य किसी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म नस्ल जाति लिंग या जन्म स्थान के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव का निषेध करता है परंतु यही अनुच्छेद यह भी कहता है।
कि इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए नागरिकों के किन्हीं वर्गों की उन्नति के लिए या अनुसुचित जातीय या अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।
अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का अंत कर उसका किसी भी रूप में प्रचलन निषेध करना । अनुच्छेद 19 व्यावसायिक निर्योग्यता की समाप्ति । अनुच्छेद 25 सार्वजनिक धार्मिक…