सामूहिक धोखाधड़ी के मामले में कुलपति पर अपराध दर्ज करने डीजीपी, आईजी, एसपी को भाजपा मीडिया प्रभारी ने किया शिकायत

(संजीत सोनवानी)
अनुपपुर। कुलपति प्रो प्रकाशमणि त्रिपाठी, कुलसचिव प्रो. एन.एस.एचएन मूर्ति, ईसी सदस्य प्रो. एस.के. द्विवेदी, प्रो. एन.के. डोगरा, धर्मेंद्र कुमार हिमांशु अवर सचिव एवं सामूहिक अपराध में सहयोगी अन्य पाँच प्रोफेसर पर आपराधिक षडयंत्र रचने, धोखाधड़ी, कूटरचना, सामूहिक भ्रष्टाचार, घूसखोरी, अनैतिक धनलाभ, आईजीएनटीयू एक्ट के विरुद्ध अपने शासकीय पद का दुरुपयोग करने, जनजातीय समाज और प्रदेश की अस्मिता के विरुद्ध कार्यपरिषद की शक्ति का दुरूपयोग के मामले में राजेश सिंह, जिला मिडिया प्रभारी, भारतीय जनता पार्टी ने सुधीर कुमार सक्सेना पुलिस महानिदेशक, गौरव राजपूत सचिव गृह मंत्रालय, अनुराग शर्मा आईजी, हर्षल पंचोली जिलाधीश, मोतिउर रहमान पुलिस अधीक्षक, थाना प्रभारी अमरकंटक को प्रकरण में अपराध पंजीबद्ध कर गहन जांच करने तथा दस्तावेज जप्ती, गवाहों के बयान के पश्चात आरोपियों को गिरफ्तार करने हेतु लिखित शिकायत किया गया है।
कार्यपरिषद बन गया है फर्जी परिषद तथा लिए गए निर्णय अवैध एवं कुटरचित
मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा सचिव श्री अभिषेक राजन कार्यपरिषद के संवैधानिक सदस्य हैं लेकिन उन्हें सम्मिलित नहीं किया गया।
कार्यपरिषद में कुलपति ने शिक्षा मंत्रालय के बिना अनुमति अपने करीबी व्यक्तियों को कार्य परिषद का सदस्य अवैध रूप से नामित किया गया है तथा विश्वविद्यालय में भी सीनियरिटी में फेरबदल करके कार्यपरिषद में फर्जी सदस्य बनाए गए हैं। इसके अलावा संजय मूर्ति जो शिक्षा मंत्रालय के सचिव हैं वे भी कार्यपरिषद की बैठक में सम्मिलित नहीं हुए अपने पयादे को सम्मिलित कराकर जनजातियों का नुकसान किया है। कोरम पूरा करने के लिए कुछ फर्जी प्रोफेसर को कुलपति जबरदस्ती बैठा लेते हैं मिनट्स में किसी सदस्य का हस्ताक्षर नहीं है तथा मनमानी ढंग से कार्यपरिषद के मिनट्स को बदल लिया जाता है। कोई भी बैठक की मिनिट्स अपने आप में स्वत फर्जी एवं कूटरचित हो जाती है यदि उस बैठक में सम्मिलित सदस्यों का हस्ताक्षर नहीं है और यहां पर किसी भी कार्य परिषद की बैठक के मिनट्स पर सदस्यों के हस्ताक्षर नहीं है, केवल कुलपति एवं कुलसचिव हस्ताक्षर करके भारत सरकार एवं राष्ट्रपति को फर्जी जानकारी देते रहे है। नॉन टीचिंग के पद पर भर्ती के लिखित परीक्षा कराने की जिम्मेदारी साधारण प्रायवेट फर्म आर डी इंस्टीट्यूट ऑफ सिस्टमैटिक लर्निंग, अगस्तकुंडा उत्तरप्रदेश को दी गई है, जो कुलपति का पुराना परिचित है, आज तक किसी केंद्रीय विश्वविद्यालय में ऐसा परीक्षा नहीं कराया है, इस प्राइवेट संस्था के मालिक को गैरकानूनी रूप से चोरी-चोरी भ्रष्टाचारपूर्वक टेंडर दिया गया। कुलपति ऐसे समस्त फर्जी कार्यों के लिए कार्यपरिषद् की शक्ति का बेहद षड्यंत्र के साथ दुरूपयोग कर रहे है।
एफआईआर और गिरफ्तारी में देरी हुई तो हजारों युवाओं का भविष्य संकट आ जायेगा
फर्म के लोगों से पहले ही क्वेश्चन पेपर आउट कर लिया गया और जिन कैंडिडेट से कुलपति ने कथित रूप से आर्थिक धनलाभ लिया उन सभी को पहले ही क्वेश्चन पेपर की तैयारी करा दी गई है। कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट होने के पश्चात इसकी रिजल्ट आए बिना ही स्किल टेस्ट की परीक्षा आयोजित की गई, स्किल टेस्ट की लिखित लिखित परीक्षा में प्रश्न पत्र में जो प्रश्न दिए गए उसके उत्तर लिखने के लिए जो आंसरशीट दी गई है, उस आंसर शीट का कोई नंबरिंग नहीं है और उसमें परीक्षा केंद्र के किसी जिम्मेदार व्यक्ति का हस्ताक्षर भी नहीं था, इस प्रकार से किसी की भी उत्तर पुस्तिका को कभी भी बदली जा सकती हैऔर बदली गई है और उत्तर पुस्तिका बदलकर बड़े पैमाने पर अपने लोगों को चयन करने के लिए फर्जीवाडा किया गया है, आब्जर्वर के नाम पर केवल लीपापोती की गई है, प्राइवेट संस्थानों में हुए इस फर्जी परीक्षा में फर्जी परीक्षा लेने वाला कंपनी तथा प्रकाशमणि त्रिपाठी और बाकी आरोपियों की मिलीभगत सम्मिलित है, यदि तत्काल एफआईआर दर्ज कर कुलपति की गिरफतारी नहीं हुई तो मध्य प्रदेश के कई युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो जायेगा।
कार्यपरिषद की बैठक पर रोक नहीं लगी तो शिक्षा मंत्रालय के जिम्मेदार भी आरोपों के घेरे में
नॉन टीचिंग के पद पर भर्ती के लिए जिन परीक्षा केन्द्रों पर लिखित परीक्षा आयोजित की गई है वे सभी पूर्ण प्राइवेट संस्थान है, जैसे- एंट्रेंस कॉर्नर, अलका एवेन्यू नियर उसलापुर; ईसिटी सेंटर- सूर्य हॉस्पिटल, बिलासपुर, कलिंगा प्राइवेट यूनिवर्सिटी रायपुर इत्यादि। इसप्रकार से केवल प्राइवेट संस्थानों को लिखित परीक्षा कराने के लिए चुना गया है, पांच प्रोफेसर और कुलपति ने मिलकर पूरा भ्रष्टाचार और आपराधिक षडयंत्र रचकर मध्य प्रदेश और अनुपपुर जिला के लोंगो के साथ अपराध किया है। नॉन-टीचिंग का पद जिन्हें बेचा गया है उनमें से अधिकांश समाजवादी है कार्यपरिषद् के सदस्य संयुक्त रूप से कुलपति के इशारे पर घुसखोरी की रकम की आपस में बंदरबांट कर लिए है, जो कैंडिडेट पहले से फिक्स थे उन्हें 15 दिन पहले ही प्रश्नपत्र देकर तैयारी करा दी गई है। सवाल के घेरे में शिक्षा मंत्रालय के अवर सचिव धर्मेंद्र कुमार हिमांशु भी इस अपराध में शामिल है, क्योंकि विश्वविद्यालय से संबंधित अन्य प्रकरण में वह कई मामले को दबा दिए हैं या सही ढंग से तथ्य अपने उच्च अधिकारियों को प्रस्तुत नहीं करते हैं तथा अपराध को संरक्षण देने में उनकी भूमिका बेहद संदिग्ध है इसलिए उन्हें भी जांच के दायरे में लिया जाना जरूरी है उनके साथ-साथ मंत्रालय के डायरेक्टर या अन्य अधिकारी भी इसमें सम्मिलित हो तो उन्हें भी इसमें आरोपी बनाया जा सकें।
आईजीएनटीयु एक्ट के तहत विजिटर-राष्ट्रपति का हस्तक्षेप परमआवश्यक
भ्रष्टाचार करके अवैध धनलाभ, विश्वविद्यालय एक्ट का जानबूझकर पालन न करने, घुसखोरी करके अवैध भर्ती करने, बिल्डिंग घोटाला, अनेक टेंडर में घोटाला सहित भ्रष्टाचार के अनेक मामलों में अपराध के स्पष्ट साक्ष्य है, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किए गए आदेश की 2 महीना कार्यकाल बचा रहे तो किसी प्रकार की भर्ती कुलपति नहीं कर सकते हैं लेकिन कुलपति के कार्यकाल खत्म होने में महज 15 दिन बचा है और भारत सरकार शिक्षा मंत्रालय के आदेश / निर्देश के विरुद्ध कुलपति भ्रष्टाचारपूर्वक लगातार भर्ती कर रहे हैं। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में घटित संज्ञेय अपराध से हजारों छात्रों का भविष्य खराब हुआ है तथा आने वाले 25 पीढ़ी तक के छात्रों को भविष्य को अंधकार में डालने का कार्य कुलपति प्रो श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी तथा उनके सहयोगी कुछ प्रोफेसर ने आपराधिक षड्यंत्र करके किया है अपने लोगों को गलत तरीके से नियुक्त करने के लिए जातिवाद क्षेत्रवाद तथा धन लाभ कमाने के लिए रोस्टर रजिस्टर को बैक डेट से कूटरचित रोस्टर का कागज तैयार किया। एससी, एसटी ओबीसी कैटेगरी के अनेक पदों को रोस्टर नियम के विरुद्ध जाकर सामान्य केटेगरी में परिवर्तित कर धनलाभ लेकर भर्ती किया इसके पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध है।