केंद्र सरकार ने IRCTC और IRFC को दिया ‘नवरत्न’ का दर्जा, जानिए क्या है इसका मतलब
सरकार की हरी झंडी के बाद केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSEs) में 25वें और 26वें ‘नवरत्न’ बन गए हैं।
(प्रदीप गुप्ता)
दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (IRCTC) और भारतीय रेलवे वित्त निगम (IRFC) को सोमवार (3 मार्च) को भारत सरकार द्वारा ‘नवरत्न’ का दर्जा प्रदान किया गया।सार्वजनिक उद्यम विभाग द्वारा एक्स पर पोस्ट की गई एक पोस्ट में कहा गया है कि सरकार ने IRCTC और IRFC को नवरत्न सीपीएसई में पदोन्नत करने को मंजूरी दे दी है, जिससे वे केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) में 25वें और 26वें ‘नवरत्न’ बन गए हैं।
IRCTC का वार्षिक कारोबार
विभाग ने अपने पोस्ट में कहा, “आईआरसीटीसी रेल मंत्रालय का एक सीपीएसई है, जिसका वार्षिक कारोबार 4,270.18 करोड़ रुपये, और टैक्स के बाद प्रॉफिट 1,111.26 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 3,229.97 करोड़ रुपये का नेटवर्थ है। कुल मार्केट कैप 54,000 करोड के लगभग।
IRFC का वार्षिक कारोबार
एक अन्य पोस्ट में बताया गया कि “आईआरएफसी रेल मंत्रालय का एक सीपीएसई है, जिसका वार्षिक कारोबार 26,644 करोड़ रुपये, और टैक्स के बाद प्रॉफिट 6,412 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 49,178 करोड़ रुपये का नेटवर्थ है। कुल मार्केट कैप 1,45,000 करोड के लगभग।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए दोनों संगठनों को बधाई दी। उन्होंने कहा, “नवरत्न का दर्जा मिलने पर आईआरसीटीसी और आईआरएफसी को बधाई।
‘नवरत्न’ का दर्जा क्या है?
नवरत्न का दर्जा उन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को दिया जाता है जो वित्तीय और बाजार में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं। यह मान्यता उनकी स्वायत्तता और वित्तीय अधिकार को बढ़ाती है। इस दर्जे का एक प्रमुख लाभ यह है कि कंपनियां केंद्र सरकार से पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता के बिना किसी एक परियोजना में 1,000 करोड़ रुपये या अपनी कुल संपत्ति का 15 प्रतिशत तक निवेश कर सकती हैं।इसके अलावा, यह उन्हें स्वतंत्र रूप से साझेदारी स्थापित करने, सहायक कंपनियां बनाने और संयुक्त उद्यम में प्रवेश करने में सक्षम बनाता है।
केंद्र सरकार सीपीएसई को उनके वित्तीय प्रदर्शन और परिचालन क्षमताओं के आधार पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करती है – महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न। विशिष्ट वित्तीय और प्रदर्शन बेंचमार्क को पूरा करने वाली कंपनियों को ‘नवरत्न’ का दर्जा दिया जाता है, जिससे उन्हें निवेश और विस्तार के निर्णयों में अधिक स्वायत्तता मिलती है।




