आपसी सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं, High Court ने युवक को किया बरी

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट (High Court) ने दुष्कर्म के एक मामले में सुनवाई करते हुए आरोपी की सजा को रद्द कर दिया है।न्यायमूर्ति नरेश कुमार चंद्रवंशी की एकलपीठ ने कहा कि यह मामला प्रेम संबंध का था, न कि झूठे विवाह वादे पर आधारित दुष्कर्म का। अदालत ने माना कि पीड़िता बालिग थी, सात साल तक अपनी मर्जी से आरोपी के साथ रही और शारीरिक संबंध आपसी सहमति से बने थे, इसलिए इसे दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता।
रिपोर्ट के मुताबिक, जगदलपुर फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में एक युवक को 10 साल की सजा सुनाई थी। फिर युवक ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। इसी मामले में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, दुष्कर्म की शिकायत करने वाली पीड़िता बालिग़ थी और सात साल तक युवक के साथ रिलेशनशिप में रही। इस दौरान दोनों के बीच आपसी सहमति से संबंध बने थे। इसमें शादी के लिए झांसा देने जैसी कोई बात नहीं
हाईकोर्ट ने जगदलपुर कोर्ट द्वारा युवक को सुनाई गई 10 साल की सजा को रद्द कर दिया है।