बिजली बिल प्रारुप कर रही भ्रम संसय का निर्माण, नगर के सामाजिक कार्यकताओं ने मांगा समाधान एई से मुलाकात कर जटिलता की परिस्थतियों पर चर्चा

(सरिता ध्रुव)
भाटापारा- सरलता एवं सहजता न हो तो जटिलता अपना स्थान ग्रहण कर लेती है और जटिलता अपने साथ लेकर आती है भ्रम एवं संसय की परिस्थिति क्योकि उसे समझने एवं उसकी व्याख्या करने के अपने अपने अंदाज निर्मित हो जातें है लिहाजा विभिन्न मनोदशा के अनुसार व्याख्या भी विभिन्न तरीके से होनी शुरु हो जाती है जिसके चलते एक तरह से माहौल मे अविश्वास के साथ ही भ्रम एवं संसय की परत चढ़नी शुरु हो जाती है।
“बिजली बिल प्रारुप दिखा रही कुछ यही झलक”
भ्रम एवं संसय के वातावरण निर्मित होने एवं जटिलता का उदाहरण प्रस्तुत करती हुई प्रतीत हो रही है बिजली बिल का प्रारुप जिसने जनमानस के बीच एक तरह से विभिन्न कयासों को उत्पन्न करने का कारक साबित होती हुई प्रतीत हो रही है,गौरतलब है कि बिजली उपभोक्ता की सुरक्षा निधि का प्रतिवर्ष ब्याज आबंटित होता है जो उनके बिजली बिल मे समायोजित कर लिया जाता है एवं ब्याज की राशि घटाकर बिजली बिल दिया जाता है,इस माह भी यही हुआ लेकिन जिस तरह से उसकी अभिव्यक्ति हुई है वह सहज ढंग से लोगों को समझ नहीं आ रही है तथा बिजली बिल मे बकाया शब्द का उल्लेख होने से अधिकतर जनमानस यही समझ रहें है कि उनकी देनदारी निकल रही है,इसी के चलते कई लोगों के बीच यही सवाल उठ रहा है कि प्रतिमाह बिजली बिल अदा करने के बाद भी बकाया शब्द का उल्लेख क्यों हो रहा है। बिजली बिल का यही प्रारुप जनमानस के बीच भ्रम एवं संसय का निर्माण करती हुई प्रतीत हो रही है।
“एई से मिले सामाजिक कार्यकर्ता”
जनमानस के बीच बनती भ्रम एवं संसय की स्थिति अविश्वास की निर्मित होती परिस्थति के मद्देनजर नगर के सामाजिक कार्यकताओं द्वारा बिजली विभाग के एई वासुदेव साहू से मुलाकात की गयी एवं विस्तार पूर्वक बिजली बिल प्रारुप एवं जनमानस के बीच निर्मित हो रहें भ्रम एवं संसय को एई के समक्ष रखा गया एवं जटिलता का समाधान मांगा गया, जिसके तहत एई द्वारा विस्तार से व्याख्या करते हुए प्रारुप की जटिलता को सहजता से समझाया गया।
“एई वासुदेव साहू का कथन”
एई द्वारा विस्तार पूर्वक व्याख्या करते हुए बिजली बिल मे दर्शाए गये विभिन्न पहलू सहित बकाया शब्द का भी विवरण प्रस्तुत करने के साथ ही एक तरह से अब यह स्पष्ट होता हुआ प्रतीत हो रहा है कि जनमानस के बीच बिल को लेकर जो त्रुटि या अन्य आशंका के भाव निर्मित हो रहे है वैसी कोई बात नहीं है,तथा प्रारुप मे जटिलता अहम वजह के रुप मे अभिव्यक्त हुई जिसके चलते जनमानस के बीच तरह तरह के कयासो की गूंज सुनाई दी,स्वंय एई वासुदेव साहू द्वारा भी यह महसूस किया गया कि प्रारुप मे थोड़ी जटिलता है इसे सरल बनाने की दिशा मे प्रयास की बात भी उनके द्वारा कही गयी।एई से मुलाकात मे गौरीशंकर शर्मा, गिरवर कटारे,पत्रकार मुकेश शर्मा,भूषण मरकाम, आर्यन स्वर्णकार, राजकुमार यदु, प्रभु साहू आदि प्रमुख रुप से उपस्थित थे।