कनिष्ठ प्रशासनिक संघ ने 17 सूत्रीय मांगों को लेकर कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, समय-सीमा पर नही हुई कार्रवाई तो अनिश्चितकालीन हड़ताल की दी चेतावनी, तीन चरणों मे होगा आंदोलन

(रौनक साहू)
KASDOL NEWS। छत्तीसगढ़ में तहसील स्तर की प्रशासनिक व्यवस्था को संभाल रहे कनिष्ठ प्रशासनिक संघ ने अपनी 17 सूत्रीय लंबित मांगों को लेकर अब आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ ने राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को ज्ञापन सौंपते हुए साफ चेताया है कि यदि 26 जुलाई 2025 तक उनकी मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो वे तीन चरणों में प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे। संघ का कहना है कि तहसीलों में कार्यरत अधिकारियों को बुनियादी संसाधनों, पदोन्नति अवसरों, तकनीकी सहयोग और सुरक्षा तक से वंचित रखा गया है, जिससे उनके कार्य निष्पादन में निरंतर कठिनाइयाँ आ रही हैं। इस संबंध में कई बार शासन को ज्ञापन सौंपा जा चुका है, लेकिन समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।
आंदोलन की तीन चरणों में रणनीतिः पहला चरण (17 जुलाई): जिला कलेक्टरों के माध्यम से ज्ञापन सौंपा गया।
दूसरा चरण (21-26 जुलाई): निजी संसाधनों से कार्यालयीन कार्य बंद।
तीसरा चरण: 28 जुलाई: जिला स्तर पर सामूहिक अवकाश और प्रदर्शन
29 जुलाईः संभाग व राज्य स्तर पर सामूहिक अवकाश
30 जुलाईः राजधानी रायपुर में सामूहिक अवकाश लेकर धरना
संघ की 17 प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
1. तहसीलों में स्वीकृत पदों की तत्काल पदस्थापना -जैसे कंप्यूटर ऑपरेटर, भृत्य, वाहन चालक, आदेशिका वाहक, राजस्व निरीक्षक, पटवारी आदि। यदि पदस्थापना संभव न हो, तो लोक सेवा गारंटी अधिनियम की समय-सीमा बाध्यता से संबंधित तहसीलों को मुक्त किया जाए।
2. तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर पद पर पदोन्नति में 50:50 अनुपात की पूर्व घोषणा का क्रियान्वयन।
3. नायब तहसीलदार पद को राजपत्रित घोषित करने की घोषणा को लागू किया जाए।
4. लंबित ग्रेड पे सुधार को शीघ्र पूर्ण किया जाए।
5. प्रशासनिक कार्यों और प्रोटोकॉल ड्यूटी के लिए शासकीय वाहन या वाहन भत्ता की व्यवस्था की जाए।
6. अनुचित निलंबन मामलों में 15 दिवस के भीतर जांच पूर्ण कर बहाली की जाए।
7. न्यायालयीन प्रकरणों को जनशिकायत प्रणाली में शामिल न किया जाए।
8. न्यायालयीन आदेशों के आधार पर FIR न हो, और जज प्रोटेक्शन एक्ट 1985 तथा शासन के 2024 के निर्देशों का कड़ाई से पालन हो।
9. प्रोटोकॉल ड्यूटी से पृथक न्यायालयीन कार्यों के लिए अलग व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
10. आउटसोर्सिंग के माध्यम से स्टाफ की नियुक्ति, जिससे मानदेय भुगतान सुचारु हो।
11. Agristack, स्वामित्व योजना, e-Court, भू. अभिलेख कार्यों के लिए प्रशिक्षित ऑपरेटर की नियुक्ति की जाए।
12. SLR/ASLR की भू-अभिलेखीय कार्यों हेतु बहाली, विशेषकर तहसीलदारों की संख्या को देखते हुए।
13. पदेन शासकीय मोबाइल नंबर और डिवाइस की सुविधा, ताकि व्यक्तिगत नंबर की गोपनीयता बनी रहे।
14. राजस्व न्यायालयों में सुरक्षाकर्मी की तैनाती और फील्ड भ्रमण हेतु वाहन की व्यवस्था की जाए।
15. सड़क दुर्घटनाओं में ₹25,000 की तत्काल आर्थिक सहायता देने के लिए स्पष्ट गाइडलाइन बनाई जाए।
16. संघ को शासन से मान्यता, ताकि मांगों और समाधान पर अधिकारिक संवाद संभव हो सके।
17. राजस्व न्यायालय सुदृढ़ीकरण के लिए विशेषज्ञ समिति/परिषद का गठन किया जाए।
संघ की दो टूक चेतावनीः संघ ने स्पष्ट किया है कि तहसील स्तर पर जिम्मेदारी का बोझ बढ़ता जा रहा है, लेकिन अधिकारी लगातार सुविधाओं और पदोन्नति से वंचित हैं। अब और प्रतीक्षा संभव नहीं। यदि शासन ने संवेदनशीलता नहीं दिखाई, तो पूरे राज्य में प्रशासनिक कार्य प्रभावित होंगे।