कैकेयी निंदनीय नहीं, वंदनीय है, क्योंकि श्री राम वन गए, तभी मर्यादा पुरुषोत्तम बन गए: मानस विदुषी

(हेमंत बघेल)

बलौदाबाजार। स्वर्गीय श्री सोनचंद वर्मा स्मृति फाउंडेशन के तत्वावधान में चल रहे 7 दिवसीय दिव्य संगीतमयी श्रीराम कथा के पंचम दिवस पर शनिवार को अयोध्याधाम से पधारी सुप्रसिद्ध मानस विदुषी देवी चन्द्रकला जी ने श्री राम वनगमन और केवट प्रसंग का भावपूर्ण वाचन किया। हजारों श्रद्धालुओं ने इस अद्भुत कथा का रसास्वादन किया और प्रसाद ग्रहण किया। कथा के दौरान विदुषी चन्द्रकला जी ने कहा, “रामायण में कैकेयी का पात्र ऐसा है जिसे वनगमन का दोषी माना गया है। लेकिन गहराई से देखने पर समझ आता है कि कैकेयी निंदनीय नहीं बल्कि वंदनीय हैं, क्योंकि उनके वरदानों ने ही श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने का मार्ग प्रशस्त किया। भरत जी ने कैकेयी की निंदा की जिसे तुलसीदास ने शब्दों को उद्धृत करते हुए कहा: “जब तैं कुमति कुमत जियँ ठयऊ, खंड खंड होई हृदउ न गयऊ। बर मागत मन भइ नहिं पीरा, गरि न जीह मुहँ परेउ न कीरा।।” भगवान राम ने भरतजी को चित्रकूट में कैकेयी की इस तरह कठोरतम निंदा करने रोका। भरत जी की कठोर निंदा के बावजूद, भगवान श्रीराम ने उन्हें रोकते हुए कहा: “दोसु देहिं जननिहि जड़ तेई, जिन्ह गुर साधु सभा नहिं सेई।” रामायण का गहन अध्ययन हमें यह समझने में मदद करता है कि कैकेयी, जिनका उद्देश्य राम को वनगमन के लिए प्रेरित करना था, वंदनीय हैं। मानस विदुषी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की आलोचना करने वालों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि अयोध्या राम मंदिर निर्माण बाद लाखों लोगों की रोजी रोटी चल रही है।

“मुख्य अतिथियों की रही उपस्थिति”

कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। बलौदा बाजार के पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल ने भी श्रीराम कथा का श्रवण किया और आयोजन समिति की सराहना की। आयोजन समिति ने बताया कि कथा के अब केवल दो दिन शेष हैं। रविवार को श्री भरत चरित्र का विस्तृत वर्णन किया जाएगा। श्रद्धालुओं से अपील है कि इस दिव्य आयोजन का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।

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