NHM संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को दो माह से वेतन के लाले, उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

(देवेश साहू)

बलौदाबाजार। जिले सहित पूरे छत्तीसगढ़ के 16 हजार से अधिक NHM संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को पिछले दो माह से काम करने के बाद भी वेतन नहीं मिल रहा है। कर्मचारियों का आरोप है कि यह उनके 33 दिनों तक चले हड़ताल की सजा है, जिसमें उनकी कोई मांग भी पूरी नहीं की गई और उस हड़ताल से नाराज स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनके वेतन को रोककर सजा दिया गया है। विभाग के कर्मचारियों को परिवार का भरण पोषण करने में समस्या आ रही है। इधर एक बार फिर कर्मचारियों ने कलेक्टर से मुलाकात कर अपने लंबित वेतन और अन्य मांगों को पूरा करने के लिए ज्ञापन सौंपा है। संविदा कर्मियों में रोशन लाल, गंगा राम धीवर, लीना रात्रे सहित अन्य कर्मियों का कहना है कि हड़ताल खत्म हुए महीनों बीत चुके हैं, लेकिन उनका वेतन अब तक जारी नहीं हुआ है।


“जिले में 516 स्वास्थ्य कर्मचारी है कार्यरत”

बता दें कि पूरे राज्य स्तर पर 18 अगस्त से 19 सितंबर 2025 तक प्रदेशभर के NHM संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी हड़ताल पर रहे थे। इस आंदोलन में राज्य के 16 हजार से ज्यादा कर्मचारियों ने हिस्सा लिया था, जिनमें बलौदा बाजार जिले के 516 कर्मचारी भी शामिल थे। सरकार से मिले आश्वासन के बाद कर्मचारियों ने हड़ताल समाप्त कर दिया, लेकिन अक्टूबर और नवंबर माह का वेतन रोक दिया गया। इधर वेतन नहीं मिलने से कर्मचारी बच्चों का स्कूल फीस, घर का किराया, ईएमआई का भुगतान नहीं कर पा रहे और आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं।

 

“बर्खास्त कर्मियों की नही हुई बहाली”

कर्मचारियों ने बताया कि हड़ताल अवधि में 25 संविदा स्वास्थ्य कर्मियों को बर्खास्त किया गया था, जिनमें बलौदा बाजार जिले के 3 कर्मचारी नेता थे उन्हें अब तक बहाल नहीं किया गया है। इन सभी को तत्काल बहाल करने की भी मांग की गई है। साथ ही कर्मचारियों ने हड़ताल के 33 दिनों को शून्य दिवस घोषित करते हुए उस अवधि को सेवा अभिलेख में जोड़कर वेतन भुगतान की मांग उठाई है। इसके साथ ही सरकार द्वारा पहले घोषित 27% वेतन वृद्धि में से सिर्फ 5% वृद्धि देने का आश्वासन दिया गया था। NHM कर्मचारी अब उस 5% बढ़ोतरी को लागू करने की मांग कर रहे हैं। साथ ही वित्तीय वर्ष 2025–26 की वार्षिक वेतन वृद्धि भी जारी किए जाने की बात कही गई है। इसके साथ ही कर्मचारियों ने कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे पुनः आंदोलन पर जाने को मजबूर होंगे।

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