जैव विविधता संरक्षण में युवा वर्ग की भागीदारी अनिवार्य है: डॉ स्वाति मोघे

(पंकज कुर्रे)
जांजगीर/पामगढ़ । चैतन्य विज्ञान एवं कला महाविद्यालय, पामगढ़ और वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर के भोपाल स्थित कार्यालय के मध्य आज एक महत्वपूर्ण समझौता पत्र (एल.ओ.यू.) पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, शोध एवं जागरूकता गतिविधियों को सशक्त बनाना और विद्यार्थियों को इन कार्यों में सक्रिय रूप से जोड़ना है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर के कार्यक्रम कार्यान्वयन, निगरानी एवं प्रबंधन विभाग की राज्य निदेशक (मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़) डॉ स्वाति मोघे उपस्थित रहीं। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में डब्ल्यू डब्ल्यू एफ के एक्टिविस्ट अभय राय उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ माता सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया।
उद्बोधन के क्रम में सर्वप्रथम महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. वी. के. गुप्ता ने अपने स्वागत भाषण में अतिथियों का परिचय देते हुए कहा कि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के साथ यह साझेदारी महाविद्यालय के लिए गौरवपूर्ण क्षण है। उन्होंने इसे विद्यार्थियों और समाज के हित में एक ऐतिहासिक पहल बताया। मुख्य अतिथि डॉ स्वाति मोगे ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जैव विविधता संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग और युवा वर्ग की भागीदारी की अनिवार्य है। उन्होंने डबल्यू डब्ल्यू एफ ऐतिहासिक पहलू के बारे जानकारी देते हुए
पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से डब्ल्यू डब्ल्यू एफ की गतिविधियां के विषय में विस्तार से बताया। उन्होंने विद्यार्थियों को पर्यावरणीय हितैषी नवोन्मेषी के किए प्रेरित किया। उन्होंने महाविद्यालय की ओर से किए जा रहे पर्यावरणीय जागरूकता अभियानों की सराहना भी की। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ एक्टिविस्ट अभय राय ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण केवल संस्थागत प्रयास नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
युवा पीढ़ी को अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव लाकर बड़े परिवर्तन की दिशा में योगदान देना चाहिए। उन्होंने कैंपस इंगेजमेंट प्रोग्राम के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर महाविद्यालय के संचालक वीरेंद्र तिवारी ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज का यह एल.ओ.यू. केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि समाज और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने का एक ठोस कदम है। यह एल.ओ.यू. दोनों संस्थानों के लिए एक मील का पत्थर सिद्ध होगा, जिसके माध्यम से संयुक्त रूप से शोध, प्रशिक्षण तथा समुदाय केंद्रित पर्यावरणीय गतिविधियों को और अधिक गति प्रदान की जाएगी। इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर के वानिकी, वन्यजीव एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग की सहायक प्राध्यापक, डॉ. गरिमा तिवारी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज शिक्षा और पर्यावरणीय संस्थानों का सहयोग समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। यदि विद्यार्थी शोध, परियोजनाओं और जनजागरूकता अभियानों में सक्रिय भागीदारी करेंगे, तो सतत विकास और जैव विविधता संरक्षण के लक्ष्य को हम निकट भविष्य में प्राप्त कर सकेंगे।
विद्यार्थियों को शोध एवं परियोजनाओं के माध्यम से इस पहल को आगे बढ़ाना चाहिए। वरिष्ठ प्राध्यापक विवेक जोगलेकर ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि डबल्यूडब्ल्यूएफ के साथ यह समझौता महाविद्यालय के लिए एक नया अध्याय है। हमें विश्वास है कि यह साझेदारी विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में और अधिक सक्रिय बनाएगी। उल्लेखनीय है कि महाविद्यालय के संचालक श्री तिवारी निरंतर क्षेत्र पाए जानी वाले जैव विविधता के संरक्षण लिए लोगों को जागरूक करने अथक प्रयास करते आए हैं।
इसी कड़ी में उन्होंने मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ के डब्ल्यूडब्ल्यूएफ से संपर्क करके इस प्रकार के करार करने को पहल की। इस समझौते के होने से महाविद्यालय जांजगीर चांपा अंचल का पहला ऐसा संस्थान बन गया है जिसने पर्यावरण संरक्षण के लिए इस प्रकार के करार पर हस्ताक्षर किए हैं। अब विद्यार्थी डब्ल्यू डब्ल्यू एफ के राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों से सीधे जुड़ पाएंगे और समय समय उन्हें विशेषज्ञों का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ओर से पूछे जिज्ञासापूर्ण प्रश्नों के जवाब वक्ताओं द्वारा दिए गए। कार्यक्रम का संचालन वानिकी विभाग के सहायक प्राध्यापक आकाश कश्यप द्वारा किया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ प्राध्यापकगण डॉ वीणापाणि दुबे, श्रीमती शुभदा जोगलेकर एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थिगण उपस्थित रहे।
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) की स्थापना 1961 में पर्यावरण और जैव विविधता संरक्षण हेतु की गई। इसका अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय ग्लैंड, स्विट्जरलैंड में स्थित है। भारत में इसका मुख्यालय नई दिल्ली है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ का मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ राज्य के लिए क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल में स्थित है। यह कार्यालय दोनों राज्यों में होने वाली सभी संरक्षण गतिविधियों का संचालन और समन्वय करता है।