बिना जनप्रतिनिधियों की जानकारी के श्रीसीमेंट की जनसुनवाई की तैयारी, ग्राम पत्थरचुवा में फिर माइनिंग का खतरा, ग्रामीणों में उबाल

(नीलकमल आजाद)
PALARI । ग्राम पंचायत पत्थरचुवा फुण्डरडीह (Panchayat Patharchuwa Fundardih) और आसपास के गांवों बोइरडीह, सेम्हाराडीह, रेंगाडीह में इन दिनों असमंजस, बेचैनी और आक्रोश का माहौल है। कारण है – श्रीसीमेंट कंपनी (ShreeCement Company) द्वारा 30 तारीख को प्रस्तावित जनसुनवाई, जिसके बारे में स्थानीय जनप्रतिनिधियों तक को कोई जानकारी नहीं है। न सरपंच, न पंच, न ही किसी वार्ड सदस्य को इसकी सूचना मिली है। यह पूरी प्रक्रिया चुपचाप, गोपनीय तरीके से चलाई जा रही है, जिससे ग्रामीणों का विश्वास पूरी तरह से टूट चुका है।
ग्रामीणों की नजरों के सामने चल रही है साजिश, पुलिस और अधिकारियों की लगातार आवाजाही
ग्रामीणों का कहना है कि बीते कुछ दिनों से गांव में रोज पुलिस की गाड़ियां दिखाई दे रही हैं। उनके साथ बड़ी-बड़ी गाड़ियों में कुछ अधिकारी आते हैं, जमीन का निरीक्षण करते हैं और बिना कुछ बताए लौट जाते हैं। किसी को कुछ नहीं बताया जा रहा कि आखिर हो क्या रहा है। अब ग्रामीणों को पता चला है कि गांव की उपजाऊ जमीन को उद्योग के नाम पर किसी प्राइवेट कंपनी को बेचा जा रहा है, जहां एक सीमेंट प्लांट की स्थापना की योजना है।
हमसे कुछ नहीं पूछा गया, हमारी जमीन छीनने की तैयारी है – ग्रामीणों का आरोप
गांव के बुजुर्गों और किसान परिवारों का कहना है कि उन्होंने इस जमीन पर पीढ़ियों से खेती की है। अब बिना पूछे, बिना सहमति के, जमीन बेचकर सीमेंट प्लांट लगाने की योजना बनाई जा रही है। “यह सरासर अन्याय है,ग्रामीणों ने कहा, हमसे एक बार भी नहीं पूछा गया कि हम क्या चाहते हैं। हमारे बच्चों का भविष्य छीनने की तैयारी हो रही है।
2013 में भी हुई थी ऐसी ही कोशिश, तत्कालीन विधायक ने जताई थी आपत्ति
गौरतलब है कि वर्ष 2013 में भी रुंगटा माइंस नामक कंपनी ने ग्राम पत्थरचुवा में माइनिंग खोलने की कोशिश की थी। उस समय तत्कालीन पलारी विधायक राजकमल सिंघानिया (Palari MLA Raj Kamal Singhania) ने इस प्रक्रिया पर तीखी आपत्ति जताई थी और जनहित में उस प्रस्ताव को रोक दिया गया था। अब एक बार फिर बिना सूचना, बिना पारदर्शिता और बिना जनभागीदारी के यह प्रक्रिया दोहराई जा रही है।
ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि यह जनसुनवाई केवल कागजी खानापूर्ति के लिए की जा रही है। जब न जनप्रतिनिधि आमंत्रित हैं, न पंचायतों को आधिकारिक सूचना है, तो फिर यह जनसुनवाई किसके लिए है अगर स्थानीय लोगों की बात ही नहीं सुनी जाएगी, तो यह लोकतंत्र का कैसा रूप है
गांव के युवाओं और किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि इस प्रक्रिया को तत्काल रोका नहीं गया और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित नहीं की गई, तो वे सड़कों पर उतर कर उग्र आंदोलन करेंगे। हम अपनी जमीन नहीं देने देंगे, चाहे कुछ भी हो जाए ग्रामीणों ने एक सुर में कहा
इस पूरे मामले में अभी तक प्रशासन या उद्योग विभाग की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।