पुष्पराजगढ़ सरपंच संघ अपनी 19 सूत्रीय मांगों को लेकर भोपाल रवाना

(पुष्पेन्द्र रजक की रिपोर्ट)

पुष्पराजगढ़। सरपंच संघ का जत्था पूर्व विधायक सुदामा सिंह एवं पंचायत इस्पेक्टर जागृति सिंह की उपस्थिति में अपनी 19 सूत्रीय मांगों को लेकर आज भोपाल रवाना हो गया 23 जुलाई को राजधानी भोपाल में सीएम हाउस के सामने धरना देगा। इसके लिए प्रदेशभर से सरपंच सुबह से राजधानी भोपाल में जुटना शुरु हो जाएंगे। सरपंच संघ अपनी 19 सूत्रीय मांग को लेकर सीएम हाउस के सामने सुबह 10 बजे से धरना करेंगे।

पुष्पराजगढ़ सरपंच संघ अपनी 19 सूत्रीय मांगों को लेकर भोपाल रवाना
पुष्पराजगढ़ सरपंच संघ अपनी 19 सूत्रीय मांगों को लेकर भोपाल रवाना

सरपंचों का मानदेय 15 हजार रुपये तक हो

सरपंच संघ की मुख्य मांग है की सरपंचों का मानदेय 15 हजार रुपये तक किया जाए। दरअसल अभी सरपंचों को 4250 रुपये मानदेय मिल रहा है।संघ का कहना है की ये मानदेय बढ़ती म​हंगाई के दौर में न के बराबर है। इसलिये इसे बढ़ाया ही जाना चाहिए। बता दें कि सरपंचों का मानदेय एक साल पहले ही बढ़ा है।

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23 जुलाई को सरपंच संघ का प्रदर्शन
भोपाल में सीएम हाउस के सामने धरना 19 सूत्रीय मांगों को लेकर है आंदोलन सरपंच संघ अपनी 19 सूत्रीय मांगों को लेकर 23 जुलाई को राजधानी भोपाल में सीएम हाउस के सामने धरना देगा। इसके लिए प्रदेशभर से सरपंच सुबह से राजधानी भोपाल में एकत्रित होंगे।

मांग में इस मंत्री का इस्तीफा भी शामिल

सरपंच संघ की 19 सूत्रीय मांगों में मोहन सरकार के एक मंत्री का इस्तीफा भी शामिल है। राष्ट्रीय सरपंच संघ मध्यप्रदेश ने कौशल विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री गौतम टेटवाल का इस्तीफा मांगा है। दरअसल 2 जुलाई को गौतम टेटवाल ने बयान दिया था कि गांव में यदि गौ माता घूमते पाई गई या उन्हें कुछ नुकसान पहुंचता है तो उस पंचायत के सरपंच, जनपद सदस्य,पंचायत सहायक, पंचायत सचिव सब जिम्मेदार होंगे। गाय को कोई नुकसान पहुंचा तो सरपंचों को धारा 151 में जेल भेज देंगे। सरपंच राज्यमंत्री के इसी बयान से खफा हैं। उन्होंने अपने मांग पत्र में टेटवाल का इस्तीफा भी मांगा है।

मनरेगा का नया आदेश निरस्त करने की मांग

1 जुलाई 2024 को मनरेगा का नया आदेश जारी किया गया। सरपंच संघ इसे निरस्त करवाने की मांग कर रहा है। दरअसल इस आदेश के लागू होने के बाद बनने वाले वित्तीय प्रबंधन से सरपंच संघ नाखुश है। मनरेगा के तहत केंद्र से मिलने वाली राशि मजदूरी और मटेरियल के लिये खर्च होती थी।नये आदेश के मुताबिक अब मटेरियल के लिए मनरेगा से खर्च न कर पंचायतों को अन्य मदों में मिलने वाली राशि से खर्च किया जाए। सरपंच संघ का मानना है इससे गांव में विकास करने में व्यवहारिक दिक्कतें आएंगी। इसलिए 1 जुलाई को जारी मनरेगा का आदेश निरस्त किया जाए।

सरपंच संघ की ये भी प्रमुख मांगे

1. सचिव और रोजगार सहायकों की सीआर लिखने का सरपंचों को अधिकार मिले।
2. पंचायत के खिलाफ सीएम हेल्पलाइन पर झूठी शिकायत करने वालों पर FIR दर्ज हो।
3. पंच-सरपंच का बीमा किया जाए, न्यूनतम 2 हजार रुपये पेंशन का प्रावधान हो।
4. मनरेगा के कार्यों में धारा 40 के तहत सरपंचों को नोटिस नहीं दिया जाए।
5. सरपंच निधि का गठन कर हर पंचायत को इसमें एक लाख रुपये दिये जाए।

प्रदेशव्यापी आंदोलन भी चुनौती

राजधानी भोपाल में 23 जुलाई को होने वाला आंदोलन वैसे तो प्रदेशव्यापी है, लेकिन इसे लेकर चुनौतियां भी कम नहीं है।
राजनीतिक पार्टियों की तरह ही विचारधारा के हिसाब से प्रदेश में भी सरपंचों के अलग-अलग गुट है और उसी हिसाब से दो सरपंच संघ एक्टिव हैं।इसलिए कुछ जिलों और जनपदों ने इस आंदोलन का समर्थन किया है तो कुछ ने इससे दूरी बनाने का निर्णय लिया है। अब देखना ये होगा कि 23 जुलाई को अपने अधिकार के लिए आंदोलन कर रहे सरपंचों का यह प्रयास कितना सफल हो पाता है।