क्षेत्रीय बंद पडी़ खदानें बनी कबाड़ियों के आमदनी का चारागाह। बंद खदान समीप खुली खदानों को बंद करने में किया गया सीमेंट, मिट्टी के मिश्रण का उपयोग

राकेश चंद्र

बिजुरी। नगर क्षेत्र में कभी संचालित हो अब बंद पड़ चुकी एसईसीएल कि भूमिगत खदानें बीते वर्षों से क्षेत्रीय कबाड़ माफियाओं के आमदनी का चारागाह साबित हो रहे हैं। प्रशासनिक स्तर पर बंद पडी़ कपिलधारा भूमिगत परियोजना के एसीम बरघाट कोयला खदान एवं बंद पडी़ सोमना खदान बीते वर्षों से क्षेत्र के कबाड़ माफियाओं के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। जहां के कीमती मशीनरी लौह कलपुर्जों को निशाना बनाकर कबाड़ माफिया दिन-प्रतिदिन अपनी जेबें गरम कर रहे हैं। जिससे शासन-प्रशासन को प्रतिदिवस लाखों रुपए कि आर्थिक क्षति पहुंच रही है।

क्षेत्रीय बंद पडी़ खदानें बनी कबाड़ियों के आमदनी का चारागाह।बंद खदान समीप खुली खदानों को बंद करने में किया गया सीमेंट, मिट्टी के मिश्रण का उपयोग
क्षेत्रीय बंद पडी़ खदानें बनी कबाड़ियों के आमदनी का चारागाह। बंद खदान समीप खुली खदानों को बंद करने में किया गया सीमेंट, मिट्टी के मिश्रण का उपयोग

 

कालरी प्रशासन कि उदासीनता के कारण मिल रहा है कबाड़ माफियाओं को बल

ज्ञातव्य है कि क्षेत्र कि बंद पडी़ कोयला खदानों पर कालरी प्रशासन के जिम्मेदारों द्वारा किसी भी तरह कि गम्भीरता नही दिखाया जा रहा है। एवं उक्त बंद पडी़ खदानों में सुरक्षात्मक दृष्टी से किसी भी जिम्मेदार कर्मचारियों कि तैनाती भी नही की गयी है। जिस कारण से क्षेत्र के कबाड़ माफियाओं द्वारा कालरी खदान में घुसकर कीमती मशीनरी लौह कलपुर्जों को सीधा अपना निशाना बनाए बैठे हैं।

खदान के बाहर कि सुरंगों में भी कालरी प्रशासन द्वारा की गयी है लीपापोती

कपिलधारा भूमिगत परियोजना समीप बंद पडी़ एसीम बरघाट खदान के बाहर कोयला माफियाओं द्वारा जगह-जगह सुरंगें निर्मित कर लगातार कोयला खदान के भीतर प्रवेश कर, प्रतिदिन सैंकड़ों बोरी कोयला निकाल रहे थे। जिसकी जानकारी कालरी प्रबंधन तक पहुंचने पश्चात कालरी प्रशासन द्वारा उक्त मुहानों को बंद तो कराया गया है। किन्तु सीमेन्ट एवं मुहाने समीप स्थित भूमियों कि मिट्टी खोदकर, उनके मिश्रण से मुहाने को बंद किया गया है। एवं उक्त बंद मुहानों में किसी दिन भी पानी नही डाला जा रहा है। जिससे कयास लगाया जा सकता है। कि बंद कि गयी मुहानों कि मजबूती कितनी होगी। और कोयला माफिया उक्त कमजोर मुहानों को कितने दिनों में ढहाकर कारनामों को अंजाम दे पाते हैं।

एसआईएसएफ कि कार्यशैली भी सवालों के दायरे में

क्षेत्र के बंद एवं संचालित खदानों में लगातार हो रही चोरी कि वारदातों पर अंकुश लगाने के लिए भारत सरकार द्वारा क्षेत्र में एसआईएसएफ कि तैनाती की गयी है। किन्तु दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि एसआईएसएफ कि तैनाती पश्चात से कोयलांचल क्षेत्र कि कोयला खदानों में चोरी कि घटनाओं में वृध्दी और भी अधिक बढ़ने लगा है। जिस पर कालरी प्रशासन के जिम्मेदार गम्भीरता पूर्वक संज्ञान लेने के बजाय स्वयं में वेवश व लाचार महसूस कर रहे हैं।

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