कुसमुंडा की घटना के बाद भी मानसून प्रिपरेशन का ढिंढोरा पीट रहा एसईसीएल प्रबंधन

(संजीत सोनवानी)

अख्तर जावेद ने पत्राचार कर घटना के जांच की मांग की

मनन्द।  साउथ इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के मेगा प्रोजेक्ट कुसमुंडा मे असिस्टेंट मैनेजर पद पर कार्यरत अधिकारी जितेन्द्र नागरकर की खदान मे पानी बढ़ जाने के कारण बहने से दुखद मृत्यु हो गई, इस तरह की मृत्यु ओपेन कास्ट कोयला खनन इतिहास मे अद्वितीय है और सभी सम्बद्ध पक्ष इस घटनाक्रम से ब्यथित थे और इसका कारण जानना चाहते हैं, परंतु इस दुर्घटना के बावजूद कोलकाता मे 28 जुलाई को खान सुरक्षा एवार्ड समारोह मे साउथ इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के द्वारा वहां प्रदर्शनी मे अपने स्टाल विडियो दिखा कर अपनी खानों जिसमें कुसमुंडा भी शामिल है मानसून प्रतिरक्षा तैयारियों का बखान किया जा रहा था।
कोलकाता समारोह मे प्रतिनिधि और कोल इंडिया लिमिटेड के त्रिपक्षीय सुरक्षा समिति मे हिन्द मजदूर सभा के प्रतिनिधि के रुप मे शामिल हुये अख़्तर जावेद उस्मानी ने बताया कि इस मानसून प्रतिरक्षा डिस्पले से अधिकारीगण तक हैरान थे कि कुसमुंडा की घटना के बाद भी मानसून प्रिपरेशन का ढिंढोरा कैसे पीटा जा रहा है।
27 जुलाई 2024 को स्व. नागरकर बह गये, 28 को कोलकाता मे एसईसीएल ने माइंस सेफ़्टी अवार्ड मे मानसून प्रतिरक्षा तैयारियों का विडियो दिखाया और 29 जुलाई को क्षेत्रीय महाप्रबंधक कुसमुंडा का पत्र वायरल हो गया कि स्वर्गीय श्री नागरकर मोबाइल पर गेम खेल रहे थे इस लिये वो बच नही पाये, इस पत्र की भाषा एक मृत ब्यक्ति अधिकारी या कर्मचारी के सम्मान निष्ठा समर्पण और अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदारी को संदेह के दायरे मे ला देता है और एक कोयला कर्मी के रुप मे स्वर्गीय नागरकर के सम्मान पर आघात पंहुचाने वाला है।
पत्र की जानकारी प्राप्त होते ही इसे व्हाट्सएप के द्वारा डीजीएमएस सहित डायरेक्टर टेक्निकल कोल इंडिया लिमिटेड सीएमडी एसईसीएल आदि को अवगत कराया गया। अंतोगत्वा बहुत दबाव मे आकर क्षेत्रीय महाप्रबंधक ने इस पत्र मे सुधार किया तो इतना कि पूर्व पत्र इंक्वायरी मे आये फ्रंट लाईन सुपरवाईज़र के बयान पर आधारित था। क्षेत्रिय महाप्रबंधक ने इस पत्र के माध्यम से यह पुष्टि की है कि जांच के अनुसार स्वर्गीय श्री नागरकर मोबाइल पर गेम खेल रहे थे,ऐसी हठधर्मिता अस्वीकार्य है,पत्र की भाषा यही कहती है।
वास्तविक जांच बिन्दु प्रश्न यह है कि खदान मे इतना पानी आया कैसे ? पानी कितनी देर रहा ?
यह तथ्य है कि एसईसीएल मे मानसून प्रतिरक्षा तैयारियों का गड़बड़झाले की शिकायत के कारण इस वर्ष इसकी निगरानी निरीक्षण स्वयं चीफ़ विजिलेंस आफ़िसर कर रहे थे,परंतु उनकी असमय दुखद मृत्यु के बाद मानसून प्रतिरक्षा प्रणाली विकास का कार्य पुनः पुराने ढ़र्रे पर चला गया ऐसा प्रतीत हो रहा है, अरबों रुपये का खर्च हर वर्ष दीपिका के बाद कुसमुंडा इस खर्च की वास्तविकता के लिये प्रत्यक्षम् किं प्रमाणम् बन कर उभरे हैं।
अख़्तर जावेद उस्मानी ने प्रधानमंत्री,कोयला मंत्री,श्रम एंव रोज़गार मंत्री के साथ ही डीजीएमएस, चेयरमैन कोल इंडिया लिमिटेड एंव एसईसीएल को पत्र लिखकर घटना के मूल प्रश्न कि मानसून प्रतिरोध व्यवस्था मे क्या खर्च हुआ? क्या कमी रही? इसे ध्वस्त कर इतना पानी खदान मे आया कहां से ? घटना की जिम्मेदारी किसकी है कितते उत्पादन की क्षति पहुची?
अख़्तर जावेद उस्मानी ने इस घटनाक्रम की कड़ी भर्त्सना करते हुये दुर्घटना के लिये एक जिम्मेदार अधिकारी द्वारा एक कनिष्ठ अधिकारी की मृत्यु पर उसी अधिकारी को बलि का बकरा बनाते हुये मोबाईल पर गेम खेलने को मृत्यु का कारक बताने वाले पत्रों से एसईसीएल की कार्य संस्कृति पर प्रश्न वाचक चिन्ह लगाने तथा सहकर्मी की प्रतिष्ठा को ध्वस्त करने वाले अधिकारियों पर भी कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही की मांग की है। उन्होंने विश्वास जताया है कि हिन्द मजदूर सभा के इस प्रतिवेदन पर भारत सरकार,सीआईएल और एसईसीएल आवश्य कार्यवाही करेगी जिससे घटना के सारे बिंदुओं से पर्दा उठ सकेगा दोषियों के खिलाफ कार्यवाही हो सकेगी ताकि इस तरफ की घटना की पुनरावृत्ति ना हो और मानव श्रम को जीवन को समाप्त होने से रोका जा सके।

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