चैतन्य विज्ञान एवं कला महाविद्यालय में नवोन्मेष पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन

(पंकज कुर्रे)
पामगढ़। चैतन्य विज्ञान एवं कला महाविद्यालय पामगढ़ में महाविद्यालय के संस्थागत नवोन्मेष परिषद के तत्वावधान में इंपैक्ट लेक्चर सीरीज के अंतर्गत नवोन्मेष पर डिजाइन थिंकिंग का प्रभाव विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संस्था के संचालक वीरेंद्र तिवारी विशिष्ट अतिथि के रूप में संस्था के प्राचार्य डॉ वी के गुप्ता व आईक्यूएसी समन्वयक विवेक जोगलेकर तथा मुख्य वक्ता के रूप में आत्मानंद बहुउद्देशीय विद्यालय बिलासपुर के अटल टिंकटिंग लैब के प्रभारी व्याख्याता डॉ धनंजय पांडेय उपस्थित रहे। कार्यक्रम शुभारंभ माता सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया।
कार्यक्रम की समन्वयक शुभदा जोगलेकर ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कार्यक्रम की रूप रेखा से सभा को अवगत कराया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि तिवारी ने छात्रों के बीच नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए शैक्षिक पाठ्यक्रम में नवाचार के विशेष सिद्धांतों को शामिल करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि डिजाइन थिंकिग समस्याओं के समाधान के लिए मानव-केंद्रित दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के साथ साथ सहानुभूति, रचनात्मकता और सहयोग को प्रोत्साहित करती है। संस्थान के प्राचार्य डाॅ वी के गुप्ता ने शैक्षणिक और व्यावसायिक क्षेत्र में डिजाइन थिकिंग के व्यावहारिक निहितार्थों प्रकाश डालते हुए कहा नवाचार का अर्थ नई चीजें करना है। डिजाइन थिकिंग पद्धतियाँ सफल नवाचारों को आगे बढ़ा सकती हैं, उपयोगकर्ता के अनुभवों को बढ़ा सकती हैं और विभिन्न उद्योगों में जटिल चुनौतियों का समाधान कर सकती हैं। उन्होंने आगे कहा कि आज के इस कार्यक्रम से महाविद्यालय में चल रही नवाचारी गतिविधियों का गति मिलेगी। आईक्यूएसी प्रभारी जोगलेकर ने संस्थान की गुणवत्ता बढ़ाने की पहल में डिजाइन सोच को एकीकृत करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने पाठ्यक्रम विकास, शिक्षाशास्त्र और अनुसंधान परियोजनाओं में डिजाइन थिकिंग सिद्धांतों को शामिल करने के लिए रणनीतियों की रूपरेखा से सभा को अवगत कराया। मुख्य वक्ता डाॅ धनंजय पांडेय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि विद्यार्थी नवाचार के अग्रदूत हैं। उन्होंने मन में उत्पन्न जिज्ञासा व जुनून को नवाचार की पहली शर्त बताते हुए कहा कि मनुष्य के मस्तिष्क में प्रति मिनट 36000 प्रकार के नवीन विचार आ सकतें हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को डिजाइन थिंकिंग की अवधारणा के परिचित कराते हुए विचार प्रसंस्करण के 5 आधारभूत चरणों के विषय केें विस्तार से बताया। डॉ. पांडेय ने डिजाइन सोच प्रक्रिया में सहानुभूति, रचनात्मकता और पुनरावृत्तीय समस्या-समाधान के महत्व पर जोर दिया। अपने संबोधन में डॉ. पांडेय द्वारा नवाचार के क्षेत्र में किए गए अपनी गतिविधियों के विषय में अनुभव साझा किया गया। उन्होंने अपने नवाचारी प्रयासों के दौरान सामने आई चुनौतियों, अपने द्वारा तैयार किए गए नवीन समाधानों के बारे में बताय। पूरे व्याख्यान के दौरान, डॉ. पांडे ने विचारोत्तेजक प्रश्नों को प्रोत्साहित करते हुए, इंटरैक्टिव सत्र के माध्यम से विद्यार्थियों को बांधे रखा। डाॅ पांडेय ने संस्था के विद्यार्थियों को अपने विद्यालय स्थित प्रयोगशाला के अवलोकन हेतु आमंत्रित भी किया। कार्यक्रम का संचालन संस्थागत नवोन्मेष परिषद के संयोजक डाॅ नरेन्द्र नाथ गुरिया तथा धन्यवाद ज्ञापन रसायनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक ऋषभ देव पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम में तकनीकि सहयोग कम्प्यूटर विभाग के प्रयोगशाला तकनीशियन सरोजमणि बंजारे ने किया।संस्था के समस्त प्राध्यापकगण सहित बड़ी संख्या में छात्र छात्रायें उपस्थित रहे।