बलौदाबाजार में सुनीता वर्मा की हुई जीत, बढ़त के साथ छाया उत्साह, ढोल-नगाड़ों और आतिशबाजी के बीच मनाया गया जश्न, 1508 मतों से शानदार हुई जीत

(हेमन्त बघेल)
बलौदाबाजार। जिले में मनवा कुर्मी क्षत्रिय समाज के राज प्रधान चुनाव का परिणाम समाज के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने वाला साबित हुआ, जब सुनीता वर्मा ने एकतरफा बढ़त लेते हुए 1508 मतों से शानदार जीत दर्ज की। उनकी जीत ने न केवल उन्हें बलौदा बाजार राज की प्रथम महिला राज प्रधान का गौरव दिलाया, बल्कि समर्थकों के लिए जश्न मनाने का एक बड़ा अवसर भी बना।
“शुरू से ही दिखा सुनीता वर्मा का दबदबा”
चुनाव में शुरू से ही सुनीता वर्मा ने अपनी मज़बूत पकड़ बना ली थी। जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ी, उनके पक्ष में रुझान लगातार बढ़ते गए। उन्होंने कुल 47 बूथों में से 36 बूथों पर एकतरफा बढ़त बनाए रखी, जिसमें उनके निकटतम प्रतिद्वंदी शकुंतला बाघमार को मात देनी पड़ी। सुनीता वर्मा ने कुल 4153 मत प्राप्त किए, जबकि शकुंतला बाघमार को 2645 वोट मिले। कौशिल्या शल्या वर्मा को 1165 वोट प्राप्त हुए और वह तीसरे स्थान पर रहीं।
“रुझानों के साथ बढ़ा समर्थकों का उत्साह”
सुनीता वर्मा की जीत के रुझान जैसे-जैसे सामने आते गए, उनके समर्थकों में उत्साह बढ़ता चला गया। हर नए रुझान के साथ समर्थकों की खुशी दोगुनी होती गई। जब सुनीता की जीत लगभग पक्की हो गई, तब पूरे क्षेत्र में जश्न का माहौल छा गया। सुनीता वर्मा की जीत ने न केवल उनके व्यक्तिगत राजनीतिक करियर में मील का पत्थर साबित किया, बल्कि समाज में महिला नेतृत्व की शक्ति और प्रभाव को भी उजागर किया।
“ढोल-नगाड़ों और आतिशबाजी से गूंज उठा बलौदाबाजार”
सुनीता वर्मा की बढ़त की खबर मिलते ही समर्थकों ने ढोल-नगाड़े बजाना शुरू कर दिया और जगह-जगह आतिशबाजी होने लगी। समर्थकों ने अपनी खुशी का इजहार करते हुए पूरे शहर में मिठाइयां बांटी और ढोल-नगाड़ों के साथ जमकर नाच-गाना किया। हर ओर जश्न का माहौल था और लोग एक-दूसरे को बधाई दे रहे थे। चुनावी नतीजों ने पूरे बलौदा बाजार को उत्सव के रंग में रंग दिया था।
“महिला सशक्तिकरण की नई मिसाल”
सुनीता वर्मा की यह ऐतिहासिक जीत न केवल उनके समर्थकों के लिए एक खास पल था, बल्कि यह समाज में महिला सशक्तिकरण और उनकी नेतृत्व क्षमता को भी दर्शाती है। सुनीता वर्मा का बलौदा बाजार राज की पहली महिला राज प्रधान बनना इस बात का प्रमाण है कि समाज में बदलाव हो रहा है और महिलाएं अब किसी भी क्षेत्र में पुरुषों के बराबर या उनसे भी आगे बढ़ सकती हैं।
“चुनाव प्रक्रिया और सुनीता की सफलता”
चुनाव के दौरान कुल 10978 मतदाताओं में से 8003 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। 47 बूथों में से सुनीता ने 36 पर बढ़त बनाई, जबकि उनके प्रतिद्वंदी केवल कुछ बूथों पर ही बढ़त बना सके। मतगणना के दौरान जैसे-जैसे परिणाम सामने आते गए, सुनीता वर्मा की जीत का आभास साफ हो गया था। सुनीता की यह जीत उनके समर्थकों को उत्साहित कर दिया, जिसने उन्हें महिला नेतृत्व की एक नई उम्मीद दी है।
जीत ने बलौदा बाजार और समाज के लिए नए बदलाव और विकास की संभावनाओं के द्वार खोले हैं। सुनीता वर्मा की यह जीत समाज में नई उम्मीदें जगाती है, खासकर महिलाओं के लिए, जो अपने जीवन में आगे बढ़कर नेतृत्व की भूमिका निभाना चाहती हैं। सुनीता वर्मा अब बलौदा बाजार राज को एक नई दिशा में ले जाने के लिए तैयार हैं, और उनके समर्थकों को उनसे बहुत उम्मीदें हैं।
इस ऐतिहासिक जीत ने बलौदा बाजार में न केवल चुनावी राजनीति का चेहरा बदल दिया है, बल्कि यह समाज में महिला सशक्तिकरण का एक बड़ा प्रतीक भी बन गई है। सुनीता वर्मा की यह जीत आने वाले समय में महिलाओं को राजनीति में और अधिक प्रेरित करने का कार्य करेगी।
“प्रत्येक बूथ पर मतगणना में सुनीता का दबदबा”
चुनाव में बनाए गए कुल 47 बूथों में से 36 पर सुनीता वर्मा ने एकतरफा बढ़त बनाई। उनका प्रदर्शन इस कदर शानदार था कि उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को इन बूथों पर कोई मौका नहीं दिया। शकुंतला बाघमार ने केवल 7 बूथों पर बढ़त ली, जबकि कौशिल्या वर्मा ने अपने गांव रिसदा सहित 4 बूथों पर मामूली बढ़त बनाई।