श्रेष्ठ गुरु वही है जो इस आत्मा को परमात्मा में लगा दे: पंडित सागर मिश्रा

(भानु प्रताप साहू)
कसडोल। श्रेष्ठ गुरु वही है जो इस आत्मा को जो परमात्मा में लगा दे वही गुरु है । उक्त बातें समीपस्थ ग्राम पंचायत कोट में मिश्रा परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत कथा में पांडातराई कवर्धा से पधारे सागर मिश्रा महराज ने कही।
उन्होंने कहा कि किसी को भी गुरु नही बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा गुरु कई हो सकते हैं पर ब्रम्ह गुरु एक ही हो सकते हैं। उन्होंने महर्षि दत्तात्रेय जी के संबंध में बताया कि उन्होंने धरती माता को गुरु बनाया उन्होंने धरती से सहनशील होना सीखा इसके अलावा वायु को, जल को तथा अग्नि सहित चौबीस गुरु बनाए और अंत में 25 वे गुरु के रूप में अपने शरीर को ही गुरु बनाया। उन्होंने परीक्षित मोक्ष की कथा बताते हुए कहा कि सुखदेव ने राजा परीक्षित को कहा तुम उस अविनाशी के अंश हो तुम्हारा विनाश किसी भी काल में नही हो सकता शरीर नाशवान है आत्मा नाश वान नही है जिस गंगा जी हो चाहे उसका थोड़ा सा जल हो गंगा जल रहता है अर्थात गंगा जी का अंश होता है उसी तरह यह आत्मा परमात्मा का अंश है जो कुछ दिनों के लिए इस शरीर में रहता है उसके बाद उसी परम पिता परमात्मा में विलीन हो जाती है। उन्होंने कहा कि सुखदेव जी महराज द्वारा राजा परीक्षित को इस तरह कथा सुनाने के बाद राजा परीक्षित को अपने शरीर पर मोह नहीं रहा और अपने शरीर छोड़ परमात्मा में विलीन हो गए । इस अवसर पर बड़ी संख्या में ग्राम पंचायत कोट के अलावा कसडोल सहित आस पास गांव से श्रद्धालु जन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।