सहकारी बैंक हड़ताल का सीधा असर पड़ेगा किसानों पर, 12 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठेंगे कर्मी, एकसूत्रीय मांग
(हेमंत बघेल)
KASDOL। जिला सहकारी बैंक(District Cooperative Bank)कर्मियों के हड़ताल में चले जाने से इसका सीधा असर किसानों पर पड़ेगा। क्योंकि सहकारी बैंकों के बंद रहने से धान खरीदी, अमानत, ऋण वितरण, खाद-बीज आपूर्ति सहित ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े सभी कार्य ठप पड़ेंगे। किसानों को अपनी राशि निकालने, भुगतान प्राप्त करने या लेनदेन के लिए अन्यत्र भटकना पड़ेगा। उनकी परेशानी और बढ़ेगी क्योंकि धान खरीदी का मौसम शुरू हो चुका है और नकदी की जरूरत चरम पर है। इस संबंध में संघ ने कहा कि इस असुविधा की पूरी जिम्मेदारी सरकार और सहकारिता विभाग की होगी, जिन्होंने वर्षों से कर्मचारियों की वैध मांगों को दरकिनार किया है।
सहकारिता क्षेत्र के जानकारों ने भी सवाल उठाया है कि जब सरकार के खजाने पर कोई भार नहीं पड़ता, तो पंजीयक कार्यालय और सहकारिता विभाग कर्मचारियों की वेतन वृद्धि को लेकर टालमटोल क्यों कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार की यह चुप्पी और देरी न केवल कर्मचारियों को निराश कर रही है, बल्कि सहकारी तंत्र की विश्वसनीयता को भी कमजोर कर रही है।
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक(DISTRICT COOPERATIVE CENTRAL BANK)के कर्मचारियों ने बताया कि सत्ताधारी दल के कई स्थानीय नेताओं और सहकारी संगठनों ने कर्मचारियों की मांग को पूरी तरह न्यायोचित और वैध बताया है। नेताओं ने मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा है कि अगर सरकार ने शीघ्र समाधान नहीं निकाला तो यह हड़ताल राज्यव्यापी संकट में बदल सकती है।
संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि यह आंदोलन सिर्फ वेतन वृद्धि का नहीं बल्कि न्याय, सम्मान और हक की लड़ाई है। कर्मचारियों ने कहा कि “हम न्यायालय से जीत चुके हैं, लेकिन सरकार से न्याय की उम्मीद अब भी अधूरी है।” यदि सरकार ने शीघ्र हस्तक्षेप नहीं किया, तो इसका खामियाज़ा न केवल सहकारी बैंकिंग व्यवस्था बल्कि किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी भुगतना पड़ेगा, जिससे किसानों की परेशानी और गहराएगी।




