विष का पान करने वाला अकेले मरता है पर ब्राह्मण का धन खाने वाला समूल समाप्त हो जाता है : पंडित सागर मिश्रा

(मानस साहू)
कसडोल। विष का पान करने वाला अकेले मरता है पर ब्राह्मण का धन खाने वाला समूल समाप्त हो जाता है । उक्त बातें स्थानीय मंगल भवन में मिश्रा परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत कथा में पांडातराई कवर्धा से पधारे आचार्य सागर मिश्रा जी (Acharya Sagar Mishra ji) महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि कोई विष का पान कर लेता है तो वही एक ही व्यक्ति नष्ट होता है पर यदि कोई ब्राह्मण का धन खाता है तो उसका पूरा परिवार नष्ट हो जाता है क्योंकि ब्राह्मण पूजा पाठ कर दक्षिणा में धन प्राप्त करता है जिसमें यजमान का कलह , क्लेश आदि साथ आ जाता है और उस धन को कोई दूसरा खा जाएगा तो वह कलह , क्लेश उसके पास चला जाता है। इसके पहले दिन श्रीमद भागवत में रुक्मणि मंगल विवाह का आयोजन किया गया जिसमें श्रद्धालु जन खूब झूमे और श्री कृष्ण रूखमणि की बनाई गई झांकी पर न्योछावर लुटाते हुए महा आरती सजाकर दिव्य आरती की गई।
उन्होंने सुदामा चरित्र की कथा पर कहा कि भगवान भाव के भूखे हैं भाव के बिना कुछ नहीं मिलता उन्होंने कहा कि भाव के बिना बाजार में कोई वस्तु नहीं मिलती तो बिना भाव के भगवान कैसे मिल सकते है । सुदामा चरित्र की कथा के अवसर पर कसडोल नगर सहित आस पास गांव से बड़ी संख्या में श्रद्धालु जन उपस्थित रहे।