झीरम घाटी हत्याकांड की टीस हुई फिर ताजा…हमले में घायल सुरेन्द्र शर्मा ने बांटी झीरम की यादें..इंसाफ अभी भी बाकी

(देवेश साहू)
बलौदाबाजार। 25 मई 2013 वह दिन जो हर साल अपने साथ एक भीषण खूनी संघर्ष की याद वापस लेकर आता है।इसी दिन नक्सलियों ने खूनी खेल खेलते हुए देश के सबसे बड़े राजनैतिक हत्याकांड को अंजाम दिया था । छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में 12 साल पहले हुई इस नक्सल घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया था। इस हत्याकांड में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं समेत 30 से अधिक लोग मारे गए थे व कई लोग घायल हुए थे। इन्हीं घायलों में शामिल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व प्रवक्ता सुरेन्द्र शर्मा भी थे जिन्होंने बंसल न्यूज को अपनी 12 साल पुरानी तस्वीरों को साझा किया है।
12 साल पुरानी तस्वीरों में से पहली तस्वीर सुकमा की है जिनमें कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के दौरान सभा में बैठे छग़ के पूर्व सीएम अजीत जोगी, विद्याचरण शुक्ल, नन्द कुमार पटेल, सहित सुरेन्द्र शर्मा व अन्य लोग मंच पर बैठे थे। वही दूसरी तस्वीर उस वक्त की है जब सुरेन्द्र शर्मा को गोली लगाने के जगदलपुर के महारानी अस्पताल में भर्ती किया गया। तीसरी तस्वीर रायपुर की है जिसमें अस्पताल में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व सोनिया गांधी घायलों से मिलने पहुंचे थे।
“सरकार से जांच की उम्मीद: सुरेन्द्र शर्मा”
सुरेन्द्र शर्मा ने खबर शतक से बातचीत करते हुए बताया कि 12 साल बीत जाने के बाद भी उनको मौजूदा सरकार से उम्मीद है कि इस पूरी घटना की जांच की जाएं। आपको बता दे कि झीरम घाटी हत्या कांड के 12 साल बीत जाने के बाद भी इस पूरे घटनाक्रम के पीछे की वजह आज भी सामने नही आ पाई है। घटना 25 मई 2013 की है जब राज्य में बीजेपी की सरकार सत्ता में थी। सुकमा में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा कार्यक्रम के बाद लौट रहें कांग्रेस के काफिले ने शामिल शीर्ष नेताओं समेत झीरम घाटी 30 से अधिक लोगों की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी।
“झीरम का सच अभी भी घाटियों में दफन”
घटना के वक्त बीजेपी सत्ता में थी तब विपक्ष में रही कांग्रेस लगातार सवाल उठाती रही की झीरम घाटी का सच कब सामने आएगा?? कांग्रेस सबूत होने का दावा भी करती रही। वही 2018 में कांग्रेस सत्ता में आई तो भाजपा भी यही सवाल करती रही की सबूत होने का दावा करने वाली कांग्रेस आखिर झीरम का सच उजागर क्यों नही कर रही?? घटना की जांच के लिए पूर्व न्यायाधीश प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी साथ ही घटना एसआईटी का भी घटना किया गया जिसपर एनआईए के हाई कोर्ट जाने के बाद जांच में रोक लगी थी लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए इजाजत दे दी है। ऐसे में इस घटना से प्रभावित पीड़ितों एवं छत्तीसगढ़ की जनता इस पूरे घटना का सच उजागर होने व पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद कर रही है। आगे देखने वाली बात होगी कि क्या घटना की वास्तविक वजह उजागर हो पाती है या नहीं आखिर इस घटना का मास्टर माइंड कौन था। इस घटना की साजिश कहा रची गई ऐसे कई सवाल है जिनके जवाब अभी भी झीरम घाटी में दफन है।