टेंपल सिटी शिवरीनारायण में पशु चिकित्सा भवन जर्जर, क्षेत्रवासी व किसान परेशान

(मदन खाण्डेकर)
गिधौरी। शिवरीनारायण पशु चिकित्सालय का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी भी पशु चिकित्सा का बाधक बन रहा है. नगर में पशु चिकित्सा में संसाधनों की कमी की वजह से पशुपालक काफी परेशान रहते हैं. भवन के खिड़की- टूट चुके हैं. काफी समय से भवन का रंग रोगन भी नहीं हुआ है. प्रखंड क्षेत्र के लोग अपने पशुओं के इलाज के लिए इसी अस्पताल पर निर्भर हैं. इसी जर्जर भवन में अधिकारियों की बैठने और दवा रखने व पशुओं का इलाज यही से हो रहा है. बता दें कि क्षेत्र के विभिन्न गांवों के पशुपालक नगर आते हैं. कई वर्षों से भवन की मरम्मत नहीं हुई है.
हवा व पानी के कारण दवाइयां भी कभी कभी खराब हो जाती है. जर्जर भवन में बैठकर कर्मचारी काम करने मजबूर हैं. बारिश के दिनों में यहां बैठना जोखिम से कम नहीं है. नगरीय क्षेत्र में पशुपालन लोगों की रोजी-रोटी का एक बड़ा जरिया है. बड़ी संख्या में लोग शिवरीनारायण क्षेत्र में कृषि व्यवसाय के साथ पशुपालन का काम कर रहे हैं. बेजुबानों के सेहत सुधार के ढांचागत विकास पर नजर डालें तो सब कुछ सन्नाटा दिखाई देता है. संसाधनों की उपलब्धता का भले ही दावा किया जा रहा हो, लेकिन अभी भी यहां दवाओं से लेकर अन्य सुविधाओं का अभाव है, जिस कारण पशुपालकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पशु चिकित्सालय का यह भवन काफी पुराना है यहां पशु चिकित्सक सर्जन और ड्रेसर की तत्काल जरूरत है। शिवरीनारायण में दो पशु कर्मी कार्यरत हैं जो गायों के इलाज के लिए है वर्तमान में यहां नाइट गार्ड एवं प्राविधिक सहायक लंबे समय से नहीं है. अस्पताल पर क्षेत्र के पशुओं के इलाज तथा टीकाकरण का जिम्मा सिर्फ दो पर है. नगर में पशु चिकित्सा भवन में दवाओं का भी अभाव बना रहता है. लोगों ने नये भवन निर्माण की मांग लगातार करते आ रहे है यहां सेटअप बढ़ाने के लिए नगर के जनप्रतिनिधि भी ध्यान नहीं दे रहे है। और शिवरीनारायण में संचालित पशु चिकित्सालय भवन जर्जर हालत में हैं. रखरखाव करना विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है. नये भवन के निर्माण और मरम्मत के लिए स्थानीय स्तर पर पशुपालन विभाग भी पत्राचार उच्च अधिकारियों को भी कर रहे है नगर में गौ सेवकों द्वारा ही समय समय पर सभी गौ माताओं का इलाज करने में मदद कर रही है गौ सेवकों द्वारा भी गौ माताओं के कई गंभीर बीमारी और दुर्घटना ग्रस्त गौ माताओं के अति आवश्यक दवाओं के लिए उन्हें भी इधर उधर भटकना पड़ता है जल्द ही इस ओर उच्च अधिकारियों को ध्यान देने की आवश्यकता हैं।