नियम-कानून का पालन कराने वाले ही धड़ल्ले से उडा़ रहे हैं धज्जियां।

आखिरकार किस दौर से गुजर रही है कोयलांचल क्षेत्र बिजुरी कि कानून-व्यवस्था-

अनूपपुर। आदिवासी बाहुल्य(tribal majority) से परिपूर्ण मध्यप्रदेश राज्य (Madhya Pradesh State) के अंतिम छोर पर बसा अनूपपुर जिला(Anuppur district)  दिन प्रतिदिन सुर्खियों में बना रहता है। विशेषकर जिला अन्तर्गत कोयला उत्पादन (Coal Production) के लिए मशहूर थानाक्षेत्र बिजुरी। जहां कि बिगड़ चुकी नेतृत्व विहीन कानून व्यवस्था (Law and order) आमजनों को रास नही आ रहा है।


कारण कानून के रक्षकों द्वारा थानाक्षेत्र में अजीबों-गरीब कारनामों को अंजाम देने पर कोताही नही बरती जा रही है। वहीं नियम कानून का दंश झेलने के लिए कानूनी तौर पर प्रशासनिक जिम्मेदारों द्वारा केवल थानाक्षेत्र के आमजन को ही विवश कर बाध्य श्रेणी में रखा गया है।

मसलन थानाक्षेत्र बिजुरी में संचालित नियम कानून का दोहरा मापदण्ड संविधान द्वारा उल्लेखित न्याय व्यवस्था प्रणाली के पूर्ण खिलाफत है। और कानून व्यवस्था को बनाए रखने कि जिम्मेदारी उठाने वाले जातकों द्वारा खुलेआम नियम-कानून का धज्जियां उडा़। यह साबित करने का प्रयास समय-समय पर किया जाता है कि। सूबे के भीतर जब तक भाजपा शासित सरकार है तब तक वर्दी धारण करने वाले जिम्मेदारों के लिए संविधान और शासन-प्रशासन का नियम-कानून व्यवस्थाओं कि महत्वता महज शून्यमात्र से अधिक और कुछ भी नही।

यही एकमात्र कारण माना जा रहा है कि नगर के सेनापति ने भी स्वयं को कानून का शीर्षोत्तर मानकर, संवैधानिक तौर पर मिली कानून व्यवस्था प्रणाली को नियमों के हवनकुंड में आहुति देने पर बिल्कुल भी गुरेज नही खाए। और रविवार 28 अप्रैल कि रात्रि आदर्श आचरण संहिता का उल्लंघन कर, सार्वजनिक शासकीय कार्यालय अर्थात थाना परिसर में विशाल दावत ए भोज का आयोजन कर दिया गया।

जहां उमडी़ भीड़ इस बात कि गवाही चीख-चीखकर देता रहा कि यह आदर्श आचरण संहिता के नियमों के ठीक विपरीत है। एवं इस तरह का आयोजन पार्टी व्यक्तीगत स्थल पर ही शोभायमान है। ना कि सार्वजनिक कार्यालय में।

कानून का पालन कराने वाले ही उडा़ने लगे धज्जियां, तो कानून व्यवस्थाओं का कराएगा पालन कौन-

किसी भी तरह के अवैधानिक कार्यों को पनाह व अंजाम देने वालों पर न्यायदण्ड विधान संहिता के अनुरूप कार्यवाई करने कराने का जिम्मा उठाने वाले जिम्मेदार पुलिसकर्मी ही अगर नियम-कायदों को उपेक्षित कर मनमानी पर अमादा हो जाऐं, और इनके द्वारा किए गए कारनामों पर उच्चस्तरीय अमला भी मौन स्वीकृति प्रदान कर, मूकदर्शक बन जाऐ। तब सवाल उठना लाजिमी है कि कानून कि मर्यादा कितनी बरकरार रहेगी। और आमजन कानून का पालन करने कि सबक इनसे सीखेगा कैसे।

जिला कप्तान को कानून कि मर्यादा बनाए रखने के लिए उठाना चाहिए न्याययोचित कदम-

समूचा प्रदेशभर में भिन्न-भिन्न जिलों के कानून-व्यवस्था को बरकरार रखने कि जिम्मेदारी शासन द्वारा प्रत्येक जिलों के पुलिस कप्तानों को सौंपी गयी है। जहां अनूपपुर जिले में भी पदस्थ पुलिस कप्तान, संविधान एवं शासन के मंशानुरूप जिलेभर के कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ व बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं,

मसलन अपराध एवं अपराधियों सहित नियमों के विपरीत कार्य करने वाले लोगों पर बिना किसी भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाए, न्याययोचित कार्यवाई करने कि जिम्मेदारी भी इन्ही के जिम्मेदार कंधों पर है। उक्त शख्स फिर चाहे आम नागरिक हो या अधीनस्थ पुलिस कर्मी। नियम और कानून का पालन सभी के लिए जरूरी और आवश्यक है। वह भी बिना भेदभाव व निष्पक्षपूर्ण तरीके से। जिससे कानून कि मर्यादा बरकरार रह सके। एवं भविष्य में ऐसी गुस्ताखी करने कि जहमत अन्य कोई भी आम और खास ना कर सके।


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