श्री सीमेंट संयंत्र के श्रमिक 7 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, श्रमिकों का आरोप: आंदोलन को दबाने संयंत्र अपना रही दमनकारी नीति, प्रशासन और पुलिस का ले रही सहारा

(देवेश साहू)

बलौदाबाजार। खपराडीह स्थित श्री रायपुर सीमेंट(SREE RAIPUR) संयंत्र  में श्रमिकों की लंबे समय से लंबित मांगों को लेकर नाराजगी अब बड़े आंदोलन का रूप ले चुकी है। संयंत्र के 1300 से अधिक श्रमिक बीते 36 घंटे से 7 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हैं।

श्रमिकों का कहना है कि 10 नवंबर को प्रबंधन द्वारा लिखित आश्वासन दिया गया था कि एक माह के भीतर सभी मांगों का समाधान किया जाएगा, लेकिन समय सीमा बीत जाने के बावजूद किसी बिंदु पर कोई पहल नहीं की गई।

हड़ताली श्रमिकों ने आरोप लगाया कि संयंत्र प्रबंधन ने पुलिस और प्रशासन के माध्यम से आंदोलन को कमजोर करने का प्रयास किया। बुधवार दोपहर इंटक मजदूर यूनियन के अध्यक्ष दिलीप वर्मा को सुहेला पुलिस द्वारा एक ढाबे में भोजन के दौरान हिरासत में ले लिया गया, जिसका सीसीटीवी फुटेज(FOOTAGE) भी सामने आया है। श्रमिकों के विरोध और दबाव के बाद उन्हें देर रात रिहा किया गया।

कांग्रेसी नेता शैलेश नितिन त्रिवेदी पहुंचे समर्थन में…

संयंत्र में श्रमिकों के समर्थन में पहुंचे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि श्रमिकों की सभी मांगें पूरी तरह जायज है। 8 घंटे की ड्यूटी (DUTY) के बाद ओवरटाइम का भुगतान, नाइट ड्यूटी अलाउंस और डस्ट अलाउंस हर औद्योगिक इकाई में दिया जाता है। इन बुनियादी मांगों को न मानना प्रबंधन का हठधर्मी रवैया है। संयंत्र प्रशासनिक और पुलिस दबाव बनाकर आंदोलन तोड़ने की कोशिश कर रही जो गलत है। जितना दबाव बढ़ेगा, आंदोलन उतना ही तेज होगा। आगे उन्होंने कहा कि संयंत्र प्रबंधन न तो श्रमिकों से संवाद कर रहा है, न जनप्रतिनिधियों से और न ही मीडिया (MEDIA)से बातचीत के लिए सामने आ रहा है। इससे पता चलता है कि वह गलत है अगर वह सही होते तो अपना पक्ष रखने में कोई परहेज नहीं करते। संवाद से ही हल निकलेगा अगर वह संवाद नहीं करना चाहते तो यह न तो मजदूर के हित में उचित है और न संयंत्र के हित में। हम श्रमिकों का शोषण बर्दाश्त नहीं करेंगे।

“मीडिया के सवालों से बचता दिखा प्रबंधन”

मीडिया (MEDIA) द्वारा संयंत्र प्रबंधन का पक्ष जानने की कोशिश के दौरान प्रहलाद सौरभ दीक्षित,विनोद देवांगन,राघवेंद्र तिवारी से बात करने की कोशिश की सभी अधिकारियों ने खुद को अधिकृत नहीं बताया। वही यूनिट हेड हुकुमचंद गुप्ता से फोन पर बात करने पर जवाब आया कि कि पाठक जी को बोल देता हूं वह संयंत्र का पक्ष रखेंगे। जिसके बाद अनिल पाठक के फोन पर संपर्क करने पर उन्होंने फोन कॉल  (PHONE CALL) का जवाब देना मुनासिब नहीं समझा। इस तरह पूरी घटना के दौरान संयंत्र के जिम्मेदार अधिकारी एक-दूसरे पर जवाबदारी टालते रहे और आधिकारिक बयान से बचते रहे।

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