बिल्डिंग और फैकल्टी एक, कोर्स अनेक, कहीं जांच को भी तो चकमा नहीं दे गया शहडोल का शिवानी पैरामेडिकल कॉलेज

यदि नर्सिंग कोर्स संचालन के मापदण्ड पर खरे उतर रहा यह कॉलेज तो अन्य कोर्सों के संचालन की कौन करेगा (जांच ….

(संजीत सोनवानी)


शहडोल। प्रदेश भर के तमाम नर्सिंग कॉलेज संचालकों में ऐसे कई कॉलेज हैं जिन्हें तमाम जांचों के बाद मापदण्डों पर खरा मानते हुये अब आगे के संचालन की अनुमति दे दी गई है। इसके साथ ही ऐसे कई नर्सिंग कॉलेज हैं जिन्हें उपयुक्त नहीं पाया।

हलांकि वर्तमान परिस्थितियों में अब शासन द्वारा नर्सिंग कॉलेज की मान्यता व संचालन के लिये नियमों में ऐसे तमाम संशोधन किये हैं जिससे अनुपयुक्त कॉलेजों के लिये भी संचालन का रास्ता आसान हो सकता है, लेकिन बीते वर्षों में हुये जांच की बात की जाये तो ऐसे तमाम बिंदु हैं जिनमें उपयुक्त पाये गये कॉलेजों की न सिर्फ पुन: जांच आवश्यक है बल्कि यह एक बड़े घोटाले का रुप भी प्रतीत होता नजर आ रहा है।

169 कॉलेज मापदण्डों में

नर्सिंग कॉलेज मान्यता फर्जीवाड़े में हाइकोर्ट (High Court) ने उन सभी 308 नर्सिंग कॉलेज की सूची भी जारी कर दी जिसकी सीबीआई जांच (CBI Investigation) की है। सीबीआई रिपोर्ट (CBI Report) से यह भी साबित हो गया है कि मध्य प्रदेश में 308 नर्सिंग कॉलेज में से सिर्फ 169 नर्सिंग कॉलेज ही मानकों के अनुसार संचालित थे, कोर्ट ने सीबीआई जांच की और इसके बाद जो लिस्ट जारी की है उनमें 308 कॉलेजों को तीन अलग श्रेणी में रखा है, जिसमें कॉलेज उपयुक्त है।

 इतने अपूर्ण हैं और इनते अनुपयुक्त हैं। जिसमें शहडोल जिले के भी कुछ कॉलेज उपयुक्त श्रेणी में पाये गये, लेकिन इनके उपयुक्त श्रेणी में आनें पर ऐसे कई सवाल खडे़ होनें लगे जो एक बार फिर जांच की ओर ईशारा कर रहे हैं।

क्यों खड़े हो रहे कई सवाल

अहम यह भी है कि सीबीआई जैसी जिम्मेदार जांच एजेंसी की जांच के बाद ऐसे तमाम सवाल हैं जो शहडोल जिले में संचालित कॉलेजों के उपयुक्त श्रेणी में आनें के बाद भी खड़े हो रहे हैं, और पुर्नजांच के दायरे में आते दिखाई दे रहे है।

कारण यह है कि नर्सिंग के साथ इन कॉलेजों में ऐसे तमाम कोर्सों का भी नियमित संचालन है जो या तो सीबीआई की जांच में सामनें नहीं आ सका या फिर संचालकों नें अपनें उक्त संचालित कोर्सों को जांच के दौरान सामनें नहीं आनें दिया। क्योंकि शिवानी पैरामेडिकल जैसे कॉलेजों के नाम से ही यह स्पष्ट है कि यहां अन्य कोर्सों का संचालन भी किया जा रहा है ऐसे में इतनी महत्वपूर्ण जांच एजेंसी इस बात पर क्यों गौर नहीं सकी यह सवाल महत्वपूर्ण है।

जानकार बताते हैं कि यदि सीबीआई के सामनें नर्सिंग कोर्स के संचालन में उपयुक्त पाये जानें वाले जिले के इन कोर्सों की जानकारी सामनें आती तो ऐसी दशा में वह भी अनुपयुक्त ही पाये जाते, क्योंकि जांच के दायरे में आये संचालित कॉलेजों में उसी स्थान पर नर्सिंग से पूर्व भी ऐसे तमाम कोर्सों का संचालन होता आ रहा है जिनके संचालन के लिये एक बडे स्थल की आवश्यकता है, लेकिन ऐसा न हो सका।

जांच के दौरान यह थे नियम

जांच के दायरे में आये नर्सिंग कॉलेजों का 24 हजार स्क्वायर फिट एरिया होना आवश्यक था। जिनमें बिल्डिंग का कॉरपेट एरिया, फैकल्टी, क्लास रुम, लाइब्रेरी, प्रैक्टिकल लैब, प्रिंसपल रुम, स्टाफ रुम, कॉमन रुम,स्टोर रुम सहित हॉस्टल आवश्यक था। जानकार बताते हैं कि सीबीआई की टीम नें शहडोल जिले के समस्त कॉलेजों की जांच की और अपनी रिपोर्ट सौंपी।

लेकिन इस जांच के दौरान फिट पाये कॉलेजों में ऐसे तमाम पहलू इनकी जांच के दायरे में न आ सके या यूं कहे संचालकों द्वारा पूर्व से संचालित कोर्सों की जानकारी व उन कोर्सों के संचालन में नर्सिंग की ही बिल्डिंग का इस्तेमाल किया जाना, उक्त संचालित अन्य कोर्सों के संचालन, संबद्धता हेतु स्थल के रुप में बिल्डिंग की आवश्यकता पर जियो टैगिंग कर उक्त बिल्डिंग को ही दिखाना जैसे पहलुओं को सामनें नहीं लाया गया जिनकी अनभिज्ञता‌ से उन्होनें फिट होनें का पैमाना प्राप्त कर लिया। यदि उक्त तथ्य सामनें आते तो शिवानी पैरामेडिकल जैसे कालेज के संचालक नर्सिंग पाठ्यक्रम हेतु बिल्डिंग की आवश्यकता ही पूरी नहीं कर पाते लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

जिले के शिवानी पैरामेडिकल कॉलेज का यह है सच

वैसे तो जांच के बाद शहडोल जिले में शिवानी नर्सिंग कॉलेज उपयुक्त श्रेणी में आ गया, लेकिन यदि यहां संचालित कोर्सों की बात करें तो नर्सिंग के साथ पूर्व से संचालित ऐसे तमाम कोर्स भी संचालित है जो नर्सिंग कॉलेज की संचालित बिल्डिंग से ही संचालित हो रहे है। इन कोर्सों और इनमें कक्ष व अन्य आवश्यकताओं पर गौर करें तो बीपीटी का कोर्स जिसमें 4 कक्ष व 1 कक्ष लैब के लिये आरक्षित होना चाहिये, बीएमएलटी कोर्स जिसमें 3 कक्ष व 2 कक्ष लैब के‌ लिये, डीएमएलटी कोर्स 2+2 कक्ष व 2+2 लैब के लिये कुल 8 कक्ष, डी फार्मा कोर्स 1 कक्ष व 1 लैब के लिये, ओटी कोर्स के लिये 2 कक्ष, एक्स रे कोर्स के लिये 2 कक्ष, पंचकर्म कोर्स के लिये 2 कक्ष होना चाहिये है इसके साथ ही फैकल्टी, क्लास रुम, लाइब्रेरी, प्रैक्टिकल लैब, प्रिंसपल रुम, स्टाफ रुम, कॉमन रुम,स्टोर रुम सहित हॉस्टल भी होना आवश्यक है। जानकारी के मुताबिक शिवानी पैरामेडिकल कॉलेज द्वारा इन कोर्सों के अतिरिक्त स्किल डेवलेपमेंट (AISECT संबद्ध) संचालित है।

जिसके लिये भी प्रथक व्यवस्था होना अनिवार्य है। जानकार बताते हैं कि इन तमाम कोर्सों के संचालन के साथ यदि नर्सिंग के कोर्स को मिलाकर बिल्डिंग की आवश्यकता को मापा जाये तो वह कोरम पूरा नहीं हो पाता। जिससे यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि एक ही बिल्डिंग को विभिन्न कोर्सों के संचालन में दिखाकर संबंधित कॉलेज संचालक जरुर किया लेकिन जांच के दौरान उक्त बिल्डिंग में सिर्फ नर्सिंग का संचालन दिखाकर उपयुक्त हो गये।

महज 22 हजार स्क्वायर फिट में बनी थी बिल्डिंग, आनन फानन में निर्माण

जांच के दौरान नर्सिंग कॉलेज के दायरे में फिट होनें के लिये 24 हजार स्क्वायर फिट विभाजित रुप में कारपेट एरिया का होना आवश्यक था। जानकार बताते हैं कि जिस दौरान कॉलेज की जांच हुई उस समय शिवानी पैरामेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग महज 22 हजार स्क्वायर फिट ही रही होगी। अहम पहलू यह भी है कि जांच के बाद उक्त कॉलेज के संचालक नें बिल्डिंग का निर्माण कराया जिसके निर्माण की जानकारी नगर पालिका से प्राप्त अनुमति व पूर्णता प्रमाण पत्र से प्रमाणित हो सकती है।

जियो टैगिंग की हुई जांच तो खुल जायेगी सभी परते

जानकारी के मुताबिक विभिन्न कोर्सों के संचालन व संबद्धता को लेकर मापदण्ड निर्धारित है। जिसमें जियों टैगिंग एक आवश्यक पहलू है जिससे उक्त कोर्सों का संचालन किये जानें वाले स्थान का भौतिक सत्यापन हो सके और इसे बदला न जा सके। जानकारी के अनुसार विभिन्न कोर्सों के संचालन के साथ नर्सिंग कॉलेज के संचालन को लेकर मेडिकल काउंसिंल ऑफ नर्सिंग एजूकेशन सहित उक्त विभिन्न कोर्सों के लिये संबंधित कॉलेज के संचालक नें एक ही स्थान की दिखाया होगा। ऐसे में जांच के दौरान उक्त स्थिति की जानकारी के साथ यदि जांच की गई होती भौतिक सत्यापन में इस बात की पुष्टि हो गई होती कि नर्सिंग कॉलेज के संचालन के लिये कितना क्षेत्रफल संचालक के पास है।

तो अन्य कोर्सों का कहां हो रहा संचालन

अहम पहलू यह है कि यदि शहडोल जिले में संचालित शिवानी पैरामेडिकल यदि इन जांच दायरों में तमाम कोर्सों के संचालन के बाद भी उपयुक्त की श्रेणी में आता है या यूं माना जाये कि तत्कालीन स्थति में शिवानी पैरामेडिकल के संचालक द्वारा अपनी संपूर्ण बिल्डिंग को नर्सिंग कॉलेज के रुप में दिखाकर जांच करा लिया तो अन्य संचालित कोर्स जिनकी जियो टैगिंग से लेकर अन्य मापदण्ड इसी बिल्डिंग से पूरे किये गये उनकी जांच क्यों नहीं कि गई।

हॉस्टल से लेकर फैकल्टी में भी खेल

जानकार बताते हैं कि शिवानी पैरामेडिकल कॉलेज के संचालक द्वारा जांच के दौरान शैक्षणिक रुप में इस्तेमाल किये जानें वाले बिल्डिंग में ही हॉस्टल को भी दिखाया है। ऐसी स्थिति में लगभग 22 हजार स्कावयर फिट का क्षेत्रफल हॉस्टल के लिये यदि आरक्षित जाये तो जांच आवश्यक रुप से पुर्नविचार की स्थिति में आता दिखाई देता है। सूत्र बताते हैं कि तमाम कोर्सों के संचालन में शैक्षणिक योग्यता प्रदान करनें वाले फैकल्टी की संख्या भी उक्त जांच के दायरे में हैं जिनमें प्रथक प्रथक कोर्सों के लिये नियुक्त फैकल्टी को संबंधित कॉलेज द्वारा कहीं नर्सिंग शिक्षा के लिये तो नहीं दिखा दिया गया।

चित्रकूट ग्रामोदय का भी सेंटर

नियमों और मापदण्डों में इस बात के स्पष्ट निर्देश है कि जिस बिल्डिंग में नर्सिंग कॉलेज का संचालन किया जा रहा है उसका अन्य किसी भी रुप में उपयोग नहीं किया जाना चाहिये। जानकारी के मुताबिक शिवानी पैरामेडिकल कॉलेज की उक्त बिल्डिंग बीते कई वर्षों से चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय का परीक्षा केन्द्र के रुप में भी इस्तेमाल किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक दो से तीन माह चलनें वाली परीक्षा में यदि उक्त बिल्डिंग का इस्तेमाल किया जा रहा है तो सवाल यह भी है कि इस दौरान नर्सिंग कॉलेज सहित अन्य कोर्सों का संचालन कैसे संभव हो पाता है। बहरहाल ऐसे कई बिंदु है जिन्हें यदि तथ्यात्मक जांच के दायरे में लिया जाये तो शिवानी नर्सिंग कॉलेज की नर्सिंग को लेकर उपयुक्त बताये मानी जानें वाली स्थिति खटाई में पड़ सकती है।