विश्व आदिवासी दिवस पर आज दिखेगी छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति की झलक, फोटो प्रदर्शनी का आयोजन

विश्व आदिवासी दिवस हर साल 9 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर के आदिवासी समुदायों के योगदान और उनकी संस्कृतियों को सम्मान देने के लिए समर्पित है। आदिवासी, जो प्रकृति के करीब रहते हैं, हमारी पृथ्वी के सबसे पुराने मूलवासी हैं।

  1. विश्व आदिवासी दिवस: हर साल 9 अगस्त को मनाया जाता है।
  2. आदिवासी: प्रकृति के करीब रहने वाले, पृथ्वी के मूलवासी हैं।
  3. आदिवासी समुदाय: प्रकृति को पूजते हैं और उसके साथ सामंजस्य स्थापित करते हैं।
  4. विश्व आदिवासी दिवस मनाने का उद्देश्य: आदिवासी समुदायों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उनके अधिकारों की रक्षा करना।
  5. विश्व आदिवासी दिवस का इतिहास: 1982 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा शुरू किया गया।
  6. विश्व आदिवासी दिवस 2024 का थीम: “स्वैच्छिक अलगाव और प्रारंभिक संपर्क में स्वदेशी लोगों के अधिकारों की रक्षा”।
  7. आदिवासी संस्कृति की विशेषताएं: प्रकृति के साथ गहरा संबंध, सामुदायिक जीवन, अनूठी कला और संस्कृति, औषधीय ज्ञान।
  8. आदिवासी समुदायों के सामने चुनौतियाँ: भूमि हरण, वनों की कटाई, सामाजिक उत्पीड़न।

विश्व आदिवासी दिवस का महत्व: आदिवासी समुदायों के योगदान को याद दिलाता है और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाने का अवसर प्रदान करता है।

आदिवासी कौन होते हैं? आदिवासी वे लोग हैं जो किसी क्षेत्र के मूल निवासी होते हैं और आधुनिक समाज के विकास से पहले से ही वहां रहते आए हैं। वे अपनी विशिष्ट भाषा, संस्कृति, रीति-रिवाज और धार्मिक विश्वासों के लिए जाने जाते हैं। आदिवासी समुदाय दुनिया के लगभग हर देश में पाए जाते हैं और वे दुनिया की कुल जनसंख्या का लगभग 5% हिस्सा बनाते हैं। भारत में आदिवसी देश के कुल जनसंख्या के 8% आबादी है।

विश्व आदिवासी दिवस का इतिहास क्या है?

21वीं सदी में संयुक्त राष्ट्र संघ ने पाया कि दुनिया भर के आदिवासी समुदाय कई गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन समस्याओं में बेरोजगारी, बंधुआ मजदूरी और कई तरह के भेदभाव शामिल थे। इन समस्याओं को हल करने और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए, संयुक्त राष्ट्र ने 1982 में एक विशेष समूह बनाया, जिसे यूएन वर्किंग ग्रुप ऑन इंडिजिनस पापुलेशंस (UNWGIP) कहा जाता है।9 अगस्त, 1982 को इस समूह की पहली बैठक हुई। इस बैठक में, दुनिया भर के आदिवासियों की समस्याओं और उनके संघर्षों पर चर्चा हुई। संयुक्त राष्ट्र ने इन समस्याओं को गंभीरता से लिया और आदिवासियों के अधिकारों के लिए काम करने का फैसला किया।1994 में, संयुक्त राष्ट्र ने एक फैसला लिया कि हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाएगा। यह दिन इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन 1982 में UNWGIP की पहली बैठक हुई थी। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य आदिवासियों के मुद्दों के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित करना और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए काम करना है।

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