अक्षय नवमी पर आंवला वृक्ष की हुई पूजा, महिलाएं पूर्व दिशा में दूध और जल किया अपर्ण
(मिथिलेश वर्मा)
सुहेला। आंवला नवमी के दिन ग्राम की महिलाएं सुबह स्नान करके आंवले के पेड़ के नीचे साफ-सफाई किए इसके बाद आंवले के पेड़ के नीचे पूर्व दिशा में खड़े होकर जल और दूध चढ़ाएं फिर आंवले के पेड़ के चारों ओर रुई लपेटें और 7 बार परिक्रमा कर अंत में आंवले की आरती करके परिवार की सुख-समृद्धि की कामना किया। अक्षय नवमी को आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय नवमी का शास्त्रों में बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा का खास महत्व बताया गया है। कहते हैं कि इस दिन आंवले के पेड़ से अमृत बरसता है, इसलिए अक्षय नवमी के दिन आंवले पेड़ के नीचे लोग खाना भी खाते हैं।
इसके अतिरिक्त आंवला नवमी का पर्व घर में एकता और सामूहिकता को बढ़ावा देने का भी एक अच्छा अवसर होता है। इस दिन महिलाएं एकत्रित होकर एक दूसरे से मिलती हैं, पूजा करती हैं और समाज में प्रेम और भाईचारे का संदेश फैलाती हैं। आंवला नवमी का यह पर्व समाज में सामूहिक रूप से आनंद और खुशी का संचार करता है।ग्राम व क्षेत्र में आंवला नवमी का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया गया l



