शिक्षक बनना अपने आप में गौरव का विषय है= बीआरसीसी प्रेमसागर

(मिलाप कुमार बरेठा)

सारंगढ़।  मानव सभ्यता के प्रथम किरण प्रस्फुटित होने के साथ ही शिक्षा और शिक्षक की बाते होने लगी थी।शिक्षा जीवन का आधार है तो शिक्षक समाज का दर्पण है।शिक्षक बनना हमेशा से गौरव का विषय रहा है। शिक्षक तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों में भी ज्ञान की दीप जलाते रहे हैं।मानव जीवन मे शिक्षक की भूमिका विशाल है। शिक्षक ही है जो एक सशक्त समाज और सुसंस्कृत राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। उक्त उदगार बीआरसीसी प्रेमसागर नायक ने अपनी अधिवार्षिकी पूर्ण करने पर आयोजित बिदाई सह सम्मान समारोह में उपस्थित शिक्षकों,संकुल समन्वयकों और ग्रामवासियों को संबोधित करते हुए बोल रहे थे।
: बीआरसीसी प्रेमसागर नायक ने कहा कि एक शिक्षक के रूप में राष्ट्र और समाज का सेवा करने का अवसर मिलता है।मुझे खुशी और गर्व है कि मैंने भी एक शिक्षक के रूप में अलग अलग भूमिका का निर्वहन किया है। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त होना एक शासकीय प्रक्रिया है जिसमे हम सबको एक दिन गुजरना है। मै अभिभूत और गौरान्वित हूं आप लोगो के सम्मान से। आप सबके सहयोग और मार्गदर्शन से मैने एक पड़ाव को पूरा किया है। उन्होंने कहा कि शिक्षक केवल शिक्षा ही नही देता अपितु जीवन जीने की कला भी सिखाता है। बच्चों को विभिन्न जीवन कौशलों से परिचित कराता है जो आगे चलकर जीवन मे विकास के मार्ग को प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक की भूमिका चुनौतीपूर्ण होता है और हर चुनौती को शिक्षक अपनी कठोर परिश्रम,समर्पण तथा विद्वता से पूरा करता है। उन्होंने उपस्थित शिक्षकों से कहा कि जीवन का हर पल अनमोल है और अपने इस अनमोल समय को बच्चों के सर्वांगीण विकास में योगदान दें। बिदाई सह सम्मान समारोह में डीईओ एलपी पटेल, बीइओ नरेंद्र जांगड़े,जिला नोडल समग्र शिक्षा शोभाराम पटेल,संकुल समन्वयकों,सेजेस प्राचार्य नरेश चौहान विभिन्न स्कूलों से आए विकासखंड के उत्कृष्ट शिक्षक्गण और ग्रामवासी तथा भरी संख्या मे बच्चे उपस्थित रहे।


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