काला मोतियाबिंद है खतरनाक लक्षण दिखते ही कराए उपचार : डॉ ओमप्रकाश

(मानस साहू)
बलौदाबाजार। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एम.पी.महेश्वर के निर्देशन व जिला अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम अधिकारी डॉ.राजेश अवस्थी व खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. अभिजीत बैनर्जी व डॉ. शशी जायसवाल के मार्गदर्शन में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लवन में नेत्र सहायक अधिकारी ओमप्रकाश यादव व समस्त स्टाफ और मरीजों की उपस्थिति में ग्लूकोमा स्कैनिंग सप्ताह का शुभारंभ किया गया। प्रथम दिवस सभी ने अपने नेत्र परीक्षण कराया 22 लोगों को नेत्र परीक्षण कर प्रेशब्योपिक चश्मा प्रदान किया।
काला मोतियाबिंद होने का कारण जल्दी-जल्दी चश्मा का नंबर बदलना व मधुमेह माइग्रेन ,उच्च रक्तचाप और सिकल सेल, एनीमिया, फैमिली मे किसी को काला मोतियाबिंद होना प्रमुख है, आपको बता दे कि मोतियाबिंद यानी ग्लूकोमा के विषय में नेत्र सहायक अधिकारी ओमप्रकाश यादव ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि आंखों में नेत्र दाब के बढ़ने की वजह से ऑप्टिक नर्व डैमेज हो जाती है
तो हम उसे काला मोतियाबिंद कहते है। यदि समय रहते काला मोतियाबिंद का इलाज नहीं किया जाए तो इससे व्यक्ति हमेशा के लिए अंधा हो जाता है इसलिए प्रारंभिक अवस्था में लक्षण दिखाई देने पर इस बीमारी का इलाज करना बहुत जरूरी होता है काला मोतियाबिंद के कारण खुद को न्यूरीश करने के लिए हमारी आंखें एक्वियस हुमर नामक एक तरल पदार्थ उत्पन्न करती हैं ।
यह तरल पदार्थ पुतली से होते हुए आंख के सामने बहता है ।तरल पदार्थ आइरिस और कॉर्निया के बीच स्थित ड्रेनेज कैनाल के माध्यम से बाहर निकल जाता है।जब किसी कारण से ड्रेनेज कैनाल ब्लॉक होने लगता है।
तब ये तरल पदार्थ बाहर न निकलकर आंखों में इकट्ठा होने लगता है ।जिससे ऑप्टिक नर्व में दबाव पड़ने के कारण ये डैमेज हो जाती हैं और व्यक्ति को काला मोतियाबिंद हो जाता है