छत्तीसगढ़ : इस जिले में सभी बड़े मंदिरों के प्रसाद की होगी जांच, कलेक्टर ने जारी किया आदेश…
राजनांदगांव। तिरुमला पर्वत पर स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट होने को लेकर उठे विवाद के बीच राजनांदगांव कलेक्टर संजय अग्रवाल ने खाद्य विभाग को जिले के प्रमुख मंदिरों के प्रसाद की समुचित जांच के बाद वितरण करने के निर्देश दिए हैं। खाद्य विभाग को कलेक्टर ने एहतियात बरतते हुए आगामी नवरात्र पर्व के दौरान प्रसाद वितरण की पुख्ता व्यवस्था करने के साथ जांच करने के आदेश फूड एवं ड्रग विभाग को दिए हैं।
आदेश में मुताबिक मां बम्लेश्वरी के साथ ही जिले के प्रमुख मंदिरों में बंटने वाले प्रसाद की जांच की जाएगी। इसके अलावा मंदिरों में पैकिंग कर प्रसाद वितरण करने की व्यवस्था भी की जाएगी। प्रसाद के सैम्पलों की भी जांच होगी। नवरात्र पर्व पर डोंगरगढ़ समेत अन्य बड़े स्थानों के मंदिरों में भक्तों का रेला लगा रहता है। पैकिंग से पहले प्रसाद की जांच की जाएगी। प्रसाद बनाने में प्रयुक्त सामानों की भी उचित तरीके से जांच करने को कहा गया है।
घी को लेकर राज्य शासन ने दिया ये आदेश
उधर छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के मंदिरों में घी के उपयोग को लेकर निर्देश जारी किया है। राज्य सरकार की तरफ से जारी इस आदेश में प्रदेश की सभी मंदिरों में केवल एक ही ब्रांड की घी का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है।
प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त ने इस संबंध में राज्य के सभी कलेक्टरों को एक पत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि शारदीय नवरात्र में प्रदेश में स्थित शक्तिपीठों और देवी मंदिरों में केवल देवभोग ब्रांड की घी का उपयोग ही किया जाए। नवरात्र के दौरान ज्योत जलाने और प्रसाद बनाने में केवल इसी घी का उपयोग किया जाए। देवभोग राज्य सरकार का ब्रांड है।
दरअसल, तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलावट के मामले के चलते स्थानीय प्रशासन भी एहतियात बरत रहा है। हालांकि प्रसादों की जांच के लिए पहले से ही सरकार द्वारा नियम-कायदे बनाए गए हैं।
फूड सेफ्टी अफसरों को एहतियात के तौर पर समुचित जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। कलेक्टर अग्रवाल लगातार इस मामले की स्वयं निगरानी कर रहे हैं। 3 अक्टूबर से प्रारंभ होने वाले क्वांर नवरात्रि के दौरान सभी मंदिरों में बड़े पैमाने पर प्रसाद वितरित होगा। ऐसे में प्रशासन ने प्रसाद व्यवस्था को सीधे अपनी निगरानी में रखा है। प्रशासन की ओर से प्रसाद वितरण व्यवस्था को बिना किसी विवाद के पुख्ता बनाने पर जोर दिया गया है।