प्रशासनिक उदासीनता से, क्षेत्रीय नदियों का अस्तित्व खतरे में

(राकेश चंद्र)
बिजुरी। थानाक्षेत्र में लागातार हो रही रेत उत्खनन के कारण स्थानीय क्षेत्रीय नदियों कि गणना अब अस्तित्व विहीन नदियों कि श्रेणी में होने लगा है। रेत कारोबारियों द्वारा जहां नदियों में गहराई तक रेत निकालने पश्चात नदियों को मिट्टी युक्त छोंड़ दिए जाने से, नदियां कीचड़ युक्त होकर। इनका अस्तित्व स्वत: धीरे-धीरे समाप्त होने लगा है। कभी स्थानीय लोगों के लिए दैनिक निस्तारण का साधन साबित होने वाली यह जीवनदायिनी नदियों का नालों में तब्दील हो जाने से स्थानीय लोग भी इन कीचड़ युक्त नालों में जाने से अब कतराने लगे हैं।
सुनहरी रेत का उत्खनन पर शासन-प्रशासन भी नही गम्भीर…
थानाक्षेत्र बिजुरी में स्थानीय नदियों से सुनहरी रेत का उत्खनन जिस तरह से प्रशासनिक सारे नियमों को शिथिल कर किया जा रहा है। उससे नदियों का अस्तित्व यकीनन समाप्ती के कगार पर पहुंचने लगा है। नदी से रेत निकालना अर्थात मां के कोख उजाड़ने के समतुल्य अगर माना जाए तो यकीनन अनुचित नही होगा। कारण रेत माफियाओं द्वारा नदियों से रेत निकालने के बाद नदियों में मिट्टी का ढेर लग वही सारे मिट्टी मलबे का रूप अख्तियार कर धीरे-धीरे अपनी आकार खोते हुए विशाल नदियों से संक्रीण होकर, नालों में तब्दील होते जा रहे हैं बावजूद इसके इन नदियों के संरक्षण एवं यहां से निकलने वाले अवैध रेत उत्खनन पर अंकुश लगाने में शासन-प्रशासन का कोई भी जिम्मेदार गम्भीर नजर आ रहा है। जिससे शासन-प्रशासन को प्रतिमाह लाखों रुपए कि आर्थिक क्षति पहुंच रही है, वहीं क्षेत्रीय रेत माफिया दिन प्रतिदिन अपने अवैध क्रियाक्लापों में लिप्त होकर चांदी काट रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री के सपनों को चूर कर रहे माफिया, लेकिन वर्तमान मुखिया गम्भीर नही…
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा जल कि महत्वता को समझते हुए, प्रदेश भर में प्राकृतिक जलों को संचय करने के लिए भिन्न-भिन्न स्थानों पर कृत्रिम नदी-नहरों का निर्माण करा, उन्हे नदियों का स्वरूप देने का पुरजोर प्रयास किया गया था। इस दिशा में यह सराहनीय प्रयास सफल साबित भी हुआ। किन्तु प्रदेश कि सत्ता में मुखिया परिवर्तन पश्चात से स्थिती कुछ और ही कहानी बयां करने लगी है। लिहाजा अब आलम यह है कि वर्तमान दौर में खनन माफिया अपने कारोबार के चरमोत्कर्ष पर है। जिन्हे किसी ना किसी रूप में प्रशासनिक सहयोग प्राप्त होता है, ऐसी सम्भावनाओं से कदापि इंकार नही किया जा सकता है। वजह प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित आदीवासी बाहुल्य थानाक्षेत्र व कोयलांचल नगरी बिजुरी में खुलेआम संचालित, अवैध रेत उत्खनन इन्ही रेत माफियाओं एवं प्रशासनिक सांठगांठ कि गवाही दे रहा है। जिस पर कार्रवाई करने कि दिशा में शासन सत्ता सहित उच्च प्रशासनिक स्तर से भी किसी तरह के ठोस कदम नही उठाए जा रहे हैं।