साजाटोला स्थित गौशाला में हुयी चार मवेशियों कि मौत

(राकेश चंद्रा)
प्रदेश सरकार के गौ संवर्धन अभियान पर लग रहा ग्रहण…
आखिरकार कौन डकार रहा है पशुओं का आहार, शासन, प्रशासन या फिर गौशाला समिति…
बिजुरी। प्रदेश सरकार द्वारा गौ संवर्धन अभियान चलाकर जहां निराश्रित आवारा पशुओं को आश्रय देने के लिए प्रदेश भर के भिन्न-भिन्न स्थानों में गौशालाओं का निर्माण करा, उनके देख-रेख व चारा पानी इत्यादि कि समुचित व्यवस्थाओं के लिए संकल्पित है। बावजूद इसके प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित बिजुरी थानाक्षेत्र अंतर्गत साजाटोला ग्राम पंचायत में संचालित गौशाला अपने आरम्भिक दिनों से विवादास्पद स्थिती में बना हुआ है। कारण साजाटोला ग्राम पंचायत में संचालित गौशाला में पशुओं कि देख-रेख व चारा-पानी कि समुचित व्यवस्था नही किया जा रहा है। जिससे हर माह यहां किसी ना किसी गौवंश कि मौत भूख से बिलखकर होता रहा है।
पूर्व के माहों में भी भूख से बिलखकर, हुयी थी गौवंशों कि मौत…
बीते मई-जून माह के दौरान भी गौशाला में आश्रित मवेशियों को चारा पानी इत्यादी नही दिए जाने कि वजह से कयी मवेशियों कि मौत हो गयी थी। जिसकी जानकारी उच्च प्रशासनिक विभाग को देने पश्चात भी प्रशासन के नुमाइंदों ने मामले पर गम्भीरता नही दिखाया था। जिससे गौशाला संचालक के हौसले बुलंद रहे। नतीजतन एक बार फिर बुधवार 04 सितम्बर कि रात्रि 04 मवेशियों कि मौत ने गौशाला संचालक समिति एवं प्रशासन के कार्यशैली पर बडा़ प्रश्नचिन्ह खडा़ कर दिया है।
पंचायत के सरपंच-सचिव भी गौशाला के अव्यवस्थाओं पर नही देते ध्यान…
ग्राम पंचायत साजाटोला अन्तर्गत संचालित गौशाला में आश्रित पशुओं को समय-समय पर चारा-भूषा, पानी इत्यादियों का समुचित व्यवस्था पर्याप्त मात्रा में होता है भी या नही। ग्राम पंचायत के सरपंच सीमा पाव एवं सचिव को बिल्कुल भी इस बात से मतलब नही रहता है। और ना ही वह कभी यहां कि स्थितियों को जानने का प्रयास करते हैं। जिससे पंचायत के जिम्मेदारों कि नजर अंदाजगी भी गौशाला संचालक समिती के अनुचित क्रियाकलापों को बढा़वा देता है।
ग्रामीणों ने लगाए भिन्न-भिन्न आरोप…
साजाटोला पंचायत अंतर्गत संचालित गौशाला में आए दिन भूख से मौत होती मवेशियों के विषय में पड़ताल करने पर, ग्रामीणों ने बताया कि गौशाला के पशुओं के लिए चारा पानी इत्यादी कि समुचित व्यवस्था कि जिम्मेदारी प्रशासन द्वारा जिस समिती को सौंपी गयी है। उक्त समिती द्वारा शासन का पूरा पैसा डकारकर आपस में बंदरबाट कर लिया जाता है। और मवेशियों को उनके द्वारा कुछ भी नही दिया जाता है, ऐसे में भला मवेशी भूखे-प्यासे कितने दिनों तक जीवित रहेंगे, उनका मौत होना स्वाभाविक है। पहले भी कयी मौतें हो चुकी हैं किन्तु शासन-प्रशासन के किसी भी जिम्मेदारों ने लगातार गायों कि होती मौत पर अपनी संवेदना नही दिखाई। जिससे मालुमात होता है कि वर्तमान समय में भाजपा शासित मोहन यादव कि सरकार गायों के प्रति बड़ी-बड़ी बातें कर सिर्फ अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकती है। वास्तविकता में उनके द्वारा संवर्धन के लिए कुछ भी कार्य नही किया जा रहा है। साजाटोला पंचायत में आए दिन गौशाला के भीतर हो रही मवेशियों कि मौत उनके कथनी और करनी का ही बडा़ उदाहरण है।