युक्तियुक्तकरण से समन्वयको को मुक्त रखे शासन प्रशासन – विक्रम राय
 
                (नीलकमल आजाद)
पलारी। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में हो रही युक्तियुक्तकरण में समन्वयको को मुक्त रखा जाए। इसी सरकार ने सन् 2014 में युक्तियुक्तकरण किया था जिसमे समन्वयको को मुक्त रखा था। छग. संकुल शैक्षिक समन्वयक/शिक्षक उन्नयन कल्याण संघ के प्रांताध्यक्ष विक्रम राय शासन और प्रशासन से मांग करता है कि वर्तमान में हो रही युक्तियुक्तकरण से समन्वयको को मुक्त रखा जाए।

अगर शासन प्रशासन समन्वयको को युक्तियुक्तकरण से मुक्त नही रखती है तो प्रदेश के सभी समन्वयक आंदोलन के लिए बाध्य होंगे जिसकी संपूर्ण जवाबदारी शाशन प्रशासन की होगी। संकुल शैक्षिक समन्वयक को शिक्षा विभाग की रीढ़ की हड्डी मानते हैं और इसी से आकलन लगाया जा सकता है कि संकुल समन्वयक की कितनी महत्वपूर्ण योगदान शिक्षा विभाग में है। अगर समन्वयक का युक्तियुक्तकरण में नाम आता है तो शासन प्रशासन को दुबारा संकुल समन्वयक की नियुक्ति करनी पड़ेगी जिससे समय और धन दोनो खर्च होंगे।
क्या फिर से शिक्षा विभाग बार बार यही काम करती रहेगी? शासन प्रशासन की संपूर्ण योजना को स्कूलों में लागू करवाने से लेकर शिक्षा की गुणवत्ता में समन्वयको का अमूल्य योगदान है। जिसे देखते हुए संकुल शैक्षिक समन्वयको को युक्तियुक्तकरण से मुक्त रखा जाए। साथ ही सभी प्राथमिक विद्यालय में कम से कम 3 शिक्षक अवश्य रखा जाए। जिससे छात्रों की पढ़ाई पर दुष्प्रभाव ना पड़े। बहुत से स्कूलों में दर्ज संख्या 50 या उससे कम है अगर इसमें दो शिक्षक या 1 शिक्षक रखते हैं तो सीधा असर शिक्षा गुणवत्ता पर पड़ेगा।
क्या सरकार गरीब मजदूर के बच्चो को गुणवत्ता युक्त शिक्षा नही देना चाहती। वर्तमान में शिक्षा विभाग में कागजी काम इतनी हो गई है कि प्रधान पाठक को ठीक से पढ़ाने का समय नही मिलता। आए दिन शिक्षकों का प्रशिक्षण भी होता रहता है जिसका सीधा असर शिक्षा गुणवत्ता पर पड़ेगा। मैं शासन प्रशासन से मांग करता हूं कि जो सेट अप बनाया गया है उसमे परिवर्तन कर सभी प्राथमिक विद्यालय में कम से कम 3 और सभी पूर्व माध्यमिक विद्यालय में कम से कम 4 शिक्षक प्रधान पाठक सहित रखा जाए जिससे शिक्षा गुणवत्ता अच्छी रहे।
शासन प्रशासन से मेरी एक मांग और है कि किसी भी स्कूल को बंद न करे। अगर किसी स्कूल को बंद करना है तो निजी विद्यालय को बंद करे जिससे सभी वर्ग के बच्चे सरकारी स्कूलों में समान शिक्षा प्राप्त कर सके। मुझे लगता है कि वर्तमान में शिक्षा में भेदभाव किया जा रहा है अमीर व्यक्तियों के बच्चे बड़े निजी विद्यालयों में पढ़ रहे हैं और गरीब मजदूर के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। जिसे शासन प्रशासन युक्तियुक्तकरण के माध्यम से और कमजोर कर रही है। शासन प्रशासन को इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। दर्ज संख्या कितनी ही क्यों न हो सभी प्राथमिक विद्यालय में कम से कम 5 शिक्षक अनिवार्य रूप से हो इसके ऊपर दर्ज संख्या के अनुपात में बढ़ाया जा सकता है। इसी प्रकार पूर्व माध्यमिक विद्यालय में कम से कम 5 शिक्षक विषयवार अनिवार्य रूप से हो। इसमें भी दर्ज संख्या के अनुपात में शिक्षकों को बढ़ाया जाए। मुझे उम्मीद है शासन प्रशासन मेरी मांग पर गंभीरता से विचार करते हुए मांग को अवश्य पूरा करेगा।



