शासकीय अस्पताल बिजुरी में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई

(संजीत सोनवानी)

पट्टी, इंजेक्शन के लिए भी मरीजों को मेडिकल स्टोर्स पर रहना पड़ता है निर्भर-

बिजुरी। नगर अन्तर्गत संचालित शासकीय अस्पताल बिजुरी में उपचार के लिए नगर ही नही अपितु दूर-दराज ग्रामीण अंचलों के मरीज भी पहुंचते हैं। इस आशय से कि शासन द्वारा संचालित अस्पताल में बेहतर चिकित्सीय सुविधाएं मिलने के साथ उपचार भी बेहतर ढंग से होगा। किन्तु वर्तमान समय में बिजुरी अस्पताल कि यथास्थितियों को देखकर सहज ही कयास लगाया जा सकता है। कि शासन द्वारा संचालित शासकीय अस्पताल बिजुरी महज मृतक शवों का पोस्टमार्टम केन्द्र ही बनकर रह गया है। उपचार के नाम पर इस अस्पताल में मरीजों को ना तो समय पर पट्टी उपलब्ध हो पाता है और ना ही इंजेक्शन।

“मेडिकल स्टोर्स से दवा इंजेक्शन आदी खरीदकर लाते हैं मरीज तब होता है उपचार”

शासकीय अस्पताल बिजुरी में आलम यह है कि उपचार के लिए पहुंचने वाले मरीजों को अधिकांशतः दवाईयां, इंजेक्शन आदी के लिए भी मेडिकल स्टोर्स पर ही निर्भर रहना पड़ता है। कारण बिजुरी अस्पताल में ना तो पर्याप्त मात्रा में दवाईयां उपलब्ध रहता है और ना ही इंजेक्शन, यही कारण है कि मरीजों का जांच उपरांत चिकित्सक द्वारा दवा, इंजेक्शन आदी आवश्यक चीजों का नाम पर्ची में लिखकर मरीजों को बाहर से खरीद लाने का सलाह दे दिया जाता है। आर्थिक तौर पर सक्षम मरीजों द्वारा चिकित्सक के पर्ची अनुसार दवाईयां खरीदकर स्वास्थ्य लाभ ले लिया जाता है, किन्तु आर्थिक रूप से असहाय गरीब मरीजों का तो समझिए भगवान ही मालिक है। जिन्हे विवशता वश उपचार बगैर घर को बैरंग लौटना पड़ता है।

“दवाईयां नही होने के कारण अधिकांश मरीजों को करना पड़ता है रेफर”

प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बिजुरी कि व्यवस्थाओं का स्थिति यह है कि अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में इंजेक्शन व दवाईयां उपलब्ध नही होने के कारण अधिकांश मरीजों को रेफर करना चिकित्सकों कि भी मजबूरी बनती जा रही है। किन्तु छोटी-छोटी समस्याओं पर भी मरीजों को रेफर किए जाने कि वजह से मरीज एवं परिजन अवश्य ही परेशान होते हैं।

“शासन-प्रशासन को अस्पताल कि स्थितियों पर देना चाहिए ध्यान”

बिना दवाईयों के अस्पताल में मरीजों का बेहतर उपचार नही होने कि वजह से जहां मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं चिकित्सक भी इस बात से स्वयं में आत्मग्लानि महसूस करते हैं, कि मरीजों का बेहतर उपचार करने का प्रशिक्षण एवं कार्य अनुभव होने के बाद भी अस्पताल में अपर्याप्त दवाईयां व इंजेक्शन होने के कारण मजबूरीवश अधिकांश मरीजों को रेफर करना पड़ता है। शासन-प्रशासन को इस मसले पर गम्भीरता के साथ संज्ञान लेकर आवश्यक कदम उठाने कि आवश्यक्ता है जिससे कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बिजुरी में संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर उपचार के लिए पहुंचने वाले मरीजों को पर्याप्त दवाईयां और इंजेक्शन उपलब्ध हो सके। ना कि छोटी-छोटी समस्याओं में भी रेफर का दंश सहना पडे़।

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