ऋण हेतु बैंको द्वारा अनावश्यक एवं बिना कारण के हितग्राहियों के आवेदन को निरस्त करना गलत, बैंक प्रबंधकों पर की जायेगी कड़ी कार्रवाई- कलेक्टर

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना की जानकारी हेतु विशेष कार्यशाला का हुआ आयोजन

बलौदाबाजार। जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र द्वारा आज कलेक्ट्रेट के सभागार में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना की जानकारी हेतु विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें आवेदित हितग्राहियों को मास्टर ट्रेनर द्वारा योजना के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। कार्यशाला में कलेक्टर चंदन कुमार भी उपस्थित रहे। कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि बैंक प्रबंधकों द्वारा बड़ी संख्या मंे गांव के छोटे-छोटे किसान, महिला स्व सहायता समूह के द्वारा योजना लाभ लेने के लिए किए गए आवेदनों को बिना कारण निरस्त की गई है। जो कि पूर्णतः अनुचित है ऐसे कार्य को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं की जायेगी। उन्होंने दो टूक कहते हुए बैंक प्रबंधकों चेतावनी दी है कि मार्च माह तक निरस्त आवेदनों को समीक्षा करते हुए अधिक से अधिक लोगों को लाभान्वित करने कहा है। उक्त कार्यशाला में महाप्रबंधक एल के लकड़ा,लीड बैंक आफिसर, बैंक के अन्य अधिकारी सहित बड़ी संख्या में हितग्राही उपस्थित रहे। लीड बैंक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना के तहत 74 हितग्राहियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य प्राप्त है। जिसमें से महज 11 आवेदन ही स्वीकृत हुए है।


गौरतलब है कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित मौजूदा/नवीन निजी सूक्ष्म उद्यमों की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ाना, फाॅर्मलाईजेशन को प्रोत्साहन देना। स्व सहायता समूहो, किसान उत्पादक संगठनों और उत्पादक सहकारिताओं को उनकी संपूर्ण मूल्य श्रृंखला के लिए सहायता देना। योजना अंतर्गत ग्रेडिंग,काॅमन प्रसंस्करण, पैंकिग, विपणन, कृषि उपज का प्रसंस्करण और परीक्षण प्रयोगशालाओं के लिए कलस्टरों और समूहों जैसे एफपीओ/एसएचजी/उत्पादक समितियों को उनकी संपूर्ण मूल्य श्रृंखला के लिए भी सहायता दी जायेगी।

योजनांतर्गत नवीन या विद्यमान सूक्ष्म खाद्य उन्नयन (माईक्रो फूड प्रोसेसिंग) उद्यमों जैसे आम, आलू, लीची, टमाटर, एवं अन्य फल, सब्जी उत्पाद, प्रसंस्करण उद्योग, साबूदाना, भूजिया, कुरकुरे, पेठा, पापड़, अचार, जैम, जेली, जूम एवं पल्प, मसाला उद्योग, मुरमुरा (मुर्रा) पोहा, मिनी राईस मिल, पशु आहार, बेकरी उत्पाद, आईस क्रीम, मोटे अनाज आधारित उत्पाद, दलिया, तेल मिल, तिल-मुर्रा-मुगफली के लड्डू निमार्ण, मिठाई बनाना, चिक्की, हर्बल उत्पाद, लघु वनोपज उत्पाद, हर्बल खाद्य उत्पाद जैसे शहद, हल्दी आंवला, हर्रा, बहेड़ा चिरौंजी आदि के प्रस्ंास्करण उद्योग को सहायता उपलब्ध कराई जावेगी। ओडीओपी उत्पादों को प्राथमिकता प्रदान की जायेगी। जिले के लिए ओडीओपी के तहत् राईस बेस्ड प्रोडक्ट्स का चयन किया गया है। ओडीओपी से भिन्न, पूर्व से स्थापित, विद्यमान फूड प्रोसेसिंग इकाई भी अपने उद्यम के उन्नयन के लिए या नवीन इकाई एवं स्थापित इकाई के विस्तार के लिए योजना का लाभ ले सकते है। योजना में प्रोजेक्ट लागत के 35 प्रतिशत पर क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी का प्रावधान है। अधिकतम सब्सिडी 10 लाख रू. तक प्रति उद्यम है। बैंक द्वारा स्वीकृत परियोजना लागत का 10 प्रतिशत अंशदान आवेदक द्वारा देय होगा। आवेदक की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए तथा इसके लिए कोई न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित नहीं है।


ग्रुप कैटेगिरी में स्व सहायता समूहों एसएचजीएस, किसान उत्पादक संगठन एफपीओएस को फूड प्रोसेसिंग उद्यम के साथ कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर, वैल्यू चैन, इंक्यूबेशन सेंटर स्थापित करने के लिए प्रोजेक्ट लागत का 35 प्रतिशत पर अधिकतम 3 करोड़ तक क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी प्रदान की जावेगी। कुल प्रोजेक्ट 10 करोड़ से अधिक नहीं होना चाहिए। प्रोजेक्ट में प्लांटध्मशीनरी एवं टेक्निकल सिविल वर्क शामिल है। प्रोजेक्ट लागत में भूमि तथा किराये या लीज पर लिए गए शेड को शामिल नहीं किया गया है।

इन्हें भी पढ़े