कोयलांचल नगरी बिजुरी में धूमधाम से निकली महाप्रभू जगन्नाथ कि रथ यात्रा

(राकेश चन्द्रा)

बिजुरी। कोयला उत्पादन के लिए ख्याति प्राप्त नगरी बिजुरी में पहली बार महाप्रभू जगन्नाथ कि रथ यात्रा निकाली गयी। इस दौरान नगर के आम आवाम सहित प्रबुध्द जन एवं गणमान्य लोग महाप्रभू जगन्नाथ एवं बीर बलभद्र व देवी सुभद्रा कि एक झलक पाने के लिए। अपना सर्वस्व न्यौछावर करते नजर आए।

नगर बिजुरी महाप्रभु के जयकारे से गूंज उठा-

महाप्रभु जगन्नाथ कि रथयात्रा नगर के हृदय स्थल हनुमान मंदिर तिराहे से निकलकर भिन्न-भिन्न मार्गों निकलकर वापस उसी स्थल पर जा पहुंचा। इस दौरान नगर के महिलाएं, पुरुष छवं बच्चे अर्थात हर आयु वर्ग के लोग, जगन्नाथ स्वामी के एक झलक पाने के लिए ललायित नजर आए।

सम्पूर्ण भारतभूमि में हर वर्ष शुक्लपक्ष के द्वितीय दिवस पर निकलता है यह यात्रा-

पद्म पुराण के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की बहन ने एक बार नगर देखने की इच्छा जताई थी, तब जगन्नाथ और बलभद्र अपनी लाडली बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर नगर दिखाने निकल पड़े। इस दौरान वे मौसी के घर गुंडिचा भी गए और यहां सात दिन ठहरे। तभी से जगन्नाथ यात्रा निकालने की परंपरा चली आ रही है। नारद पुराण और ब्रह्म पुराण में भी इसका जिक्र है। मान्यताओं के मुताबिक, मौसी के घर पर भाई-बहन के साथ भगवान खूब पकवान खाते हैं और फिर वह बीमार पड़ जाते हैं. उसके बाद उनका इलाज किया जाता है और फिर स्वस्थ होने के बाद ही लोगों को वापस दर्शन देते हैं।

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