स्वास्थ्य विभाग की अच्छी पहल: “चिरायु योजना बनी वरदान”, अब लक्ष्मी भी अपने पैरो से चल सकेगी, चिरायु की टीम का दिखा उत्कृष्ट कार्य, कृतिम पैर से मिला नया जीवन

(भानु प्रताप साहू)

बलौदाबाजार। जिले में संचालित चिरायु दल द्वारा सराहनीय पहल करते हुए नौनिहाल बच्ची को बड़ा सहारा दिया है। आपको बता दे कि बीते दिवस स्वास्थ्य परीक्षण के लिए विकासखंड कसडोल से 55 किलोमीटर दूर कच्ची, पक्की सड़क होते हुये चिरायु की टीम ग्राम अमरुवा पहुँची। जहाँ के प्राथमिक शाला अमरूवा मे चिरायु की टीम समस्त छात्र-छात्राओं को एक-एक करके नाम पुकारकर स्वास्थ्य परीक्षण करके उनका उपचार कर रही थी, इस दौरान एक बच्ची का नाम पुकारने पर वह नहीं उठी, फिर कुछ समय पश्चात बच्ची अपने शरीर को जमीन पर घसीटते हुए चल रही थी, उस बच्ची का नाम लक्ष्मी बरिहा उम्र 7 वर्ष था, जिसे देखकर चिरायु टीम के मन मे संवेदना जागी, फिर चिकित्सकों की टीम ने स्वास्थ्य परीक्षण कर शाला के प्रधान पाठक सोमेश्वर जी से बच्ची के एक पैर न होने के कारण को पुछा, जिसपर श्री सोमेश्वर ने बताया कि बच्ची लक्ष्मी का बचपन से ही उसका एक पैर नहीं है, फिर शाला के प्रधान पाठक के माध्यम से चिकित्सकों ने उनके परिजन को स्कूल में बुलवाया। साथ ही पूर्व मे हुए चिकित्सीय पर्ची भी मंगाया गया। इसके बाद लक्ष्मी के पिता हरिचंद बरिहा एवं लक्ष्मी की माता परिवारजनों को समझाया गया एवं आश्वासन दिलाया कि चिरायु के माध्यम से वह लक्ष्मी के कृत्रिम पैर लगवाने हेतु हर संभव प्रयास करेगे। जिससे वह अपने पैरों से चल पाये एवं किसी के उपर आश्रित न रहे। फिर चिरायु के चिकित्सको के द्वारा हर जगह उसके कृत्रिम पैर लगवाने हेतु प्रयास किया गया। अंततः नारायण सेवा संस्थान उदयपुर (राजस्थान) में चिकित्सको ने बात की फिर रायपुर में कैम्प का आयोजन की जानकारी दी गई। फिर बच्ची को उनके दादाजी के साथ 3 माह पूर्व चिरायु की टीम लेके गई। तत्पश्चात् वहां पैर हेतु मापन की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद बताया गया कि तीन माह पश्चात फिर से कैम्प आयोजित होगा। उस दौरान लक्ष्मी को उसका पैर लगा दिया जायेगा। इस दौरान चिकित्सक निरंतर लक्ष्मी के परिवार एवं नारायण सेवा संस्थान में दूरभाष के माध्यम से जुड़े रहे। फिर नारायण सेवा संस्थान से फोन चिकित्सक को आया कि लक्ष्मी का पैर तैयार हो चुका है। 30 जून को आप कैम्प में बच्चे के साथ उपस्थित हो जाये। 30 जून को लक्ष्मी को उसका पैर लगाया जाना है, इधर कैम्प में उपस्थित होने के बाद पैर लगते ही लक्ष्मी की खुशी उसके आंखों में परिलक्षित हो रही थी। लक्ष्मी अपने पैरो में खड़े होकर बहुत उत्साहित थी। एवं उनके दादा की आंखों में आंसू आ गए। लक्ष्मी फिर वही अपने पैरी से चली। इस सराहनीय पहल को चिरायु की टीम ने खबर शतक.इन से साझा किया। इधर लक्ष्मी के पिता हरिचंद, माता, चाचा एवं दादा ने नारायण सेवा संस्थान एवं चिरायु टीम की तारीफ के साथ आभार जताया है, वही प्राथमिक शाला के प्रधान पाठक सोमेश्वर ने बच्ची की उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ नारायण सेवा संस्थान एवं चिरायु टीम के सराहनीय सहयोग एवं पहल की प्रशंसा कर आभार प्रकट किया है।

चिरायु की टीम ने दिखाया संवेदना

कसडोल के विकासखण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ. रविशंकर अजगल्ले ने खबर शतक.इन से चर्चा में बताया कि उक्त बच्ची की पहचान कसडोल चिरायु टीम के द्वारा की गई थी जिसमें डॉ. अभिषेक यदु, डॉ. सविता घृतलहरे, अजेन्द्र, सपना, पद्मिनि सम्मिलित थे। चिरायु टीम के चिकित्सक के द्वारा बताया गया कि इस बच्चे के कृत्रिम पैर लगवाने में मुख्य रूप से जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एम.पी. महेश्वर, जिला कार्यक्रम प्रबंधक सृष्टि मिश्रा एवं खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ. रवि शंकर अजगल्ले का विशेष सहयोग रहा है। कृत्रिम पैर लगवाना पूर्ण रूप से निःशुल्क रहा।

निःशुल्क होता है उपचार

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एम.पी. महेश्वर ने बताया कि “चिरायु” टीम द्वारा स्कूलों तथा आंगनबाड़ी केन्द्रो में बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है।

इसमें किसी भी प्रकार की बीमारी पाई जाने पर उसके उपचार की निःशुल्क व्यवस्था की जाती है, साथ ही चिरायु योजना अंतर्गत 0-18 वर्ष तक के बच्चों में जन्मजात हृदय रोग, मोतियाबिंद, कटे-फटे होठ, तालु, टेढ़े-मेढ़े हाथ पैर, श्रवण बाधिर्य एवं शरीर से संबंधित बीमारी एवं विकृति समेत 44 गंभीर बीमारियों के ईलाज का पूरा खर्च शासन द्वारा उठाया जाता है।

देखिये कृतिम पैर लगने के बाद लक्ष्मी ने कैसे चला….

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