जीवन में रिश्तों की महत्ता सिखाता है सुदामा चरित्र पं. अनिल पाण्डेय

(पंकज कुर्रे)
पामगढ़। ग्राम पकरिया झूलन में कश्यप परिवार द्वारा आयोजित भागवत कथा में आज पंडित अनिल कुमार पाण्डेय ने व्यासपीठ से सुदामा चरित्र का का वर्णन किया उन्होंने बताया कि सुदामा चरित्र से हमें जीवन में अनुसरण करने के लिए अनेक बाते सीखने को मिलती है सुदामा से हमें जीवन में आईं कठिनाइयों का सामना करने की सिख मिलता है।
भगवान कृष्ण के निकट होते हुए भी सुदामा ने भगवान कृष्ण से अपने लिए कुछ नहीं मांगा अर्थात निस्वार्थ समर्पण ही असली मित्रता है मित्र के प्रति हमारे मन मे हमेशा ईमानदारी और सम्मान का भाव होना चाहिए।
मित्रता में कोई छोटा बड़ा नही होता भगवान श्रीकृष्ण द्वारिका पूरी के राजा होते हुए भी एक गरीब मित्र के स्वागत के लिए अपना सिंहासन छोड़ बेसुध होकर मिलने के लिए दौड़ पड़े मित्रता में कभी स्वार्थ नहीं होता।
सुदामा ने अपने राजा मित्र भगवान कृष्ण से से कुछ नही मांगा लेकिन भगवान कृष्ण ने अपने मित्र की बिना मांगे स्वय मदद की भागवत पुराण भगवान कृष्ण का साहित्यिक अवतार माना जाता है।
भागवत कथा सुनने से आध्यात्मिक विकास और भगवान के प्रति भक्ति गहरी होती जाती है।
भागवत कथा स्वयं की प्रकृति की और जीवन की वास्तविकता के बारे में सिखाती है।
भागवत कथा का मूल मंत्र मानव जीवन में सदाचार है प्राचीन आचार्यों के अनुसार भागवत में जीवन का व्यापक रुप से चित्रण है,
कथा में मुख्य यजमान द्रोपती कश्यप शान्ति कुमार कश्यप, राजेश्वरी कश्यप उत्तम लाल कश्यप , इंद्रपाल कश्यप, भरत कश्यप, उत्तम लाल कश्यप , भानु कश्यप, श्रोतागण व ग्रामवासी उपस्थित थे।