ठाकुरदिया और तुरतुरिया डब्लूबीएम सड़क जर्जर, जगह-जगह बोल्डर और कटाव, दोपहिया और चारपहिया वाहन हो रहे क्षतिग्रस्त, वन विभाग उदाशीन

(भानु प्रताप साहू)
कसडोल। अगर इन दिनों आप संतानदात्री मातागढ़ तुरतुरिया दर्शन करने पहुँच रहें है, तो आप जरा ठहर जाइये। जी हां हम इसलिए आपको कह रहे है, क्योंकि जिस मार्ग से आप दर्शन करने पहुचेंगे उक्त डब्ल्यूबीएम सड़क अत्यंत जर्जर हो चुका है। जिसके कारण आपके वाहन क्षतिग्रस्त होने के अलावा नेटवर्क विहीन क्षेत्र में फंस सकते है। आपको बता दे कि क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश के कारण पहाड़ो में पानी का रिसाव हो रहा है, जिसके कारण ठाकुरदीया से 6 किलोमीटर तुरतुरिया डब्लूबीएम सड़क जर्जर हो चुका है, लेकिन जर्जर मार्ग को सुधारने की कयावत वन विभाग के सूत्रों के अनुसार बारिश के बाद करने की बात कह रहे है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि तुरतुरिया से लगें ग्राम भिम्भौरी, गुड़ागढ़, बफरा सहित अन्य गांव के वाशिंदे आखिर किस मार्ग से आवाजाही करेंगे यह बड़ा सवाल है, साथ ही आपको बता दे कि भारी बारिश के कारण बफरा से खुड़मुड़ी मार्ग भी अत्यंत जर्जर है, बीच मे पड़ने वाले घाट में पेड़ पौधों के बीच सड़क में गिरने के अलावा पूरे मार्ग में कटाव होने के साथ बोल्डर निकला हुआ है, जिसके कारण वनांचल वाशियों सहित माता दर्शन करने पहुँच रहें लोगों को काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
राम मंदिर निर्माण के बाद भी नही सुधरा सड़क
आपको बता दे कि बीते 5 अगस्त 2020 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का शिलान्यास किया गया था जिसके बाद राम मंदिर का निर्माण प्रारंभ होने के बाद आज दर्शन प्रारंभ हो चुका है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के आदेश जारी होने के बाद तत्कालीन छत्तीसगढ़ सरकार ने भी राज्य में राम वनगमन पथ के महत्वपूर्ण स्थल तुरतुरिया को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का फैसला लिया था, जिसमें प्रभु श्रीराम का ननिहाल तुरतुरिया को तत्कालीन छत्तीसगढ़ सरकार ने राम वनगमन स्थलों में पर्यटन की दृष्टि से माता गढ़ तुरतुरिया को शामिल किया था और प्रस्तावित स्थल तुरतुरिया का वन विभाग के अनुसार वहां पहुंच मार्ग का उन्नयन, पर्यटक सुविधा केन्द्र, वैदिक विलेज, पगोड़ा, मूलभूत सुविधा, वाटर फ्रंट डेवलपमेंट, विद्युतीकरण सहित अन्य कार्य कराए जाने की बात कही गई थी लेकिन अभी 4 वर्ष बीत जाने के बावजूद वन विभाग द्वारा आधा अधूरा ही कार्य कराया गया है। सबसे महत्वपूर्ण कार्यो में पहुँच मार्ग की अनदेखी की जा रही है।
रामायण कालीन संस्कृति मौजूद
छत्तीसगढ़ में रामायणकालीन संस्कृति की झलक आज भी देखने को मिलती हैं। जिससे यह साबित तो होता है कि भगवान श्रीराम के अलावा माता सीता और लव-कुश का संबंध भी इसी प्रदेश से था। घने जंगलों के बीच स्थित माता गढ़ तुरतुरिया में महर्षि वाल्मीकि का आश्रम इसी बात की याद दिलाता है कि रामायण काल में छत्तीसगढ़ का कितना महत्व रहा होगा। जनश्रुतियों के अनुसार त्रेतायुग में यहां महर्षि वाल्मीकी का आश्रम था और उन्होंने सीताजी को भगवान राम के द्वारा त्याग देने पर आश्रय दिया था। सिरपुर-कसडोल मार्ग पर ठाकुरदिया नाम स्थान से 06 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगल और पहाड़ों पर स्थित है तुरतुरिया। यह छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 113 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसी क्षेत्र में महादेव शिवलिंग भी मिलते हैं, जो 8 वीं शताब्दी के हैं। यहीं पर माता सीता और लव- कुश की एक प्रतिमा भी नजर आती है, जो 13-14 वीं शताब्दी की बताई जाती है।
जर्जर सड़क पर्यटकों के लिए बनता है परेशानी
लवन वन परिक्षेत्र अंतर्गत तुरतुरिया मातागढ़ का एरिया आता है, जहाँ पहुँचने के लिए केवल एक मात्र सड़क है जो इस समय काफी जर्जर है, जगह जगह से पत्थर और बोल्डर दिख रहे है, साथ ही सिरपुर और कसडोल मुख्यमार्ग के ठाकुरदीया से अंदर आने वाला एक मात्र मुख्य सड़क कई जगहों से घुमावदार होने के साथ ही 4 से 5 जगहों से मिट्टी के क्षार से कटा हुआ है जिसके कारण आने वाले पर्यटक और श्रद्धालुओं को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, फिलहाल तुरतुरिया को तत्कालीन छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पर्यटन स्थल घोषित करने के बाद इस क्षेत्र का विकास सम्भावित नजर आ रहा था लेकिन सत्ता और कांग्रेस सरकार जाने के बाद क्षेत्र के लोगों को सुगम सड़क की सौगात नही मिल सका है।
इनका कहना है…
डब्लूबीएम सड़क जर्जर की जानकारी संज्ञान में आया है, बारिश के पूर्व सड़क को दुरुस्त कराया गया था लेकिन बारिश के कारण मुरुम बह गया है, दर्शनार्थियों के मद्देनजर तत्काल सड़क की मरम्मत कराया जायेगा।
गोविंद सिंह, एसडीओ, वन विभाग बलौदाबाजार