मातागढ़ तुरतुरिया में भक्तों की उमड़ रही भीड़, अष्टमी पर भक्त दंडवत प्रणाम कर माता का कर रहें दर्शन, आस्था के जल रहें दीपक

(नीलेश कुमार शर्मा बंटी)
KASDOL । चैत्र नवरात्र से ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत हो जाती है, नवरात्रि के शुरू होते ही तुरतुरिया के मातागढ़ में माता (Mother in the Matagarh of Turturiya) के दर्शन के लिए लोग ज्यादा संख्या में पहुंचते है, आज नवरात्रि की अष्टमी के दिन तुरतुरिया के मातागढ़ मंदिर में सूबे से ही भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही थी मान्यता है कि तुरतुरिया के मातागढ़ (Mother in the Matagarh of Turturiya) में जो भी मनोकामना मांगो वो पूरी होती है, इसलिए भक्त अपनी मनोकामना लेकर यहाँ जरूर पहुँचते है, आपको बता दे कि शनिवार को यहां भक्त दंडवत प्रणाम करते हुए माता के दरबार में दर्शन करने पहुंच रहे थे, यहाँ आस्था की ज्योत भी जलाई जा रही है, आसपास गांव के अलावा यहां दूर दूर से भक्त माता के दर्शन करने पहुँच रहें है, गौरतलब है कि यहाँ माता के भक्तों के द्वारा भंडारा भी कराया जा रहा है, साथ ही गर्मी के मद्देनजर पानी और शरबत भी भक्तों को बांटा जा रहा है।
“आस्था के जल रहें ज्योत”
विकासखंड अंतर्गत शक्ति पीठ मातागढ़ तुरतुरिया (Mother in the Matagarh of Turturiya) में चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर दीप ज्योति प्रज्वलित की गई है। श्रद्धालुओं द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार तुरतुरीया मातागढ़ में तेल और घी के दीपक आस्था स्वरूप जलाया जा रहा है। पौराणिक कथा के अनुसार लव-कुश की जन्मस्थली तुरतुरिया व महर्षि वाल्मीकि जी का तपोभूमि आश्रम है।
इस सुप्रसिद्ध स्थल से बालमदेही नदी बहती हुई महानदी में समा जाती है। यहां शारदेय नवरात्रि व कुंवार नवरात्रि में भक्ति आस्था की दीपक श्रद्धालुओं द्वारा जलाकर मन्नते मांगते हैं इस दौरान तुरतुरिया में मेला लग जाता है जहां दूर-दूर से भक्त दर्शन लाभ को प्राप्त करने आते हैं। प्रत्येक वर्ष पौष पूर्णिमा में यहाँ 3 दिवसीय मेले का आयोजन होता है जहाँ लाखों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ती है। इस धार्मिक स्थान को पूर्वर्तीय सरकार द्वारा राम वन गमन पथ के तहत कायाकल्प किया गया था ज्ञात हो कि तुरतुरिया एक प्राकृतिक एवं धार्मिक स्थल है जो जिला मुख्यालय बलौदाबाजार से 42 किमी और कसडोल विकासखण्ड से 23 और सिरपुर से 29 किमी की दूरी पर स्थित है जिसे तुरतुरिया के नाम से जाना जाता है उक्त स्थल को सुरसुरी गंगा के नाम से भी जाना जाता है।
“प्राकृतिक दृश्यों से परिपूर्ण तुरतुरिया”
आपको बता दे कि यह स्थल प्राकृतिक दृश्यों से भरा हुआ एक मनोरम स्थान है जो कि चारो ओर पहाड़ियो से घिरा हुआ है। इसके समीप ही मात्र 13 किलोमीटर की दूरी पर मशहूर पर्यटन का दर्जा प्राप्त बारनवापारा अभ्यारण भी स्थित है तुरतुरिया बफरा नामक गांव के समीप बलामदेही नदी पर स्थित है। जनश्रुति है कि त्रेतायुग में महर्षि वाल्मीकि का आश्रम यही पर था और लवकुश की यही जन्मस्थली थी। इस स्थल का नाम तुरतुरिया पड़ने का कारण यह है कि यहां पर एक प्राकृतिक जल स्रोत है जो ऊपर पहाड़ी से निकल कर गौ मुख से कुंड में गिरता है जिससे लगातार तुरतुर की ध्वनि निकलती है। जिसके कारण इसे तुरतुरिया नाम दिया गया है। जिस स्थान पर कुंड में यह जल गिरता है वहां पर एक गाय का मुख बना दिया गया है जिसके कारण जल उसके मुख से गिरता हुआ दृष्टिगोचर होता है। गोमुख के दोनों ओर दो प्राचीन प्रस्तर की प्रतिमाए स्थापित हैं जो कि विष्णु जी की हैं इनमें से एक प्रतिमा खडी हुई स्थिति में है तथा दूसरी प्रतिमा में विष्णुजी को शेषनाग पर बैठे हुए दिखाया गया है।
कुंड के समीप ही दो वीरों की प्राचीन पाषाण प्रतिमाए बनी हुई हैं जिनमें क्रमश:एक वीर एक सिंह को तलवार से मारते हुए प्रदर्शित किया गया है तथा दूसरी प्रतिमा में एक अन्य वीर को एक जानवर की गर्दन मरोड़ते हुए दिखाया गया है। इस स्थान पर शिवलिंग काफी संख्या में पाए गए हैं इसके अतिरिक्त प्राचीन पाषाण स्तंभ भी काफी मात्रा में बिखरे पड़े हैं जिनमें कलात्मक खुदाई किया गया है। इसके अतिरिक्त कुछ शिलालेख भी यहां स्थापित हैं। कुछ प्राचीन बुध्द की प्रतिमाएं भी यहां स्थापित हैं। कुछ भग्न मंदिरों के अवशेष भी मिलते हैं। इस स्थल पर बौध्द,वैष्णव तथा शैव धर्म से संबंधित मूर्तियों का पाया जाना भी इस तथ्य को बल देता है कि यहां कभी इन तीनों संप्रदायो की मिलीजुली संस्कृति रही होगी। ऎसा माना जाता है कि यहां बौध्द विहार थे जिनमे बौध्द भिक्षुणियों का निवास था।सिरपुर के समीप होने के कारण इस बात को अधिक बल मिलता है कि यह स्थल कभी बौध्द संस्कृति का केन्द्र रहा होगा।यहां से प्राप्त शिलालेखों की लिपि से ऎसा अनुमान लगाया गया है कि यहां से प्राप्त प्रतिमाओं का समय 8-9 वीं शताब्दी है।धार्मिक एवं पुरातात्विक स्थल होने के साथ-साथ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण भी यह स्थल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।