गुरु बिन भवनिधि तरिय न कोई, जो बिरंचि संकर सम होई

श्री दूधाधारी मठ में गुरु पूर्णिमा का पर्व श्रद्धा -भक्ति पूर्वक मनाया गया
(मदन खाण्डेकर)
गिधौरी ।छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर स्थित श्री दूधाधारी मठ में गुरु पूर्णिमा का पर्व श्रद्धा भक्ति पूर्वक हर्सोल्लास के साथ मनाया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार सुबह 7:30 बजे से 8:30 बजे के बीच श्री भगवान रघुनाथ जी का,श्री स्वामी बालाजी भगवान एवं संकट मोचन हनुमान जी महाराज का मंगल श्रृंगार आरती संपन्न होने के उपरांत श्री स्वामी बलभद्र दास जी महाराज की समाधि स्थल पर विशेष पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर मठ मंदिर के सभी पूर्वाचार्यों को याद किया गया। श्री स्वामी वैष्णव दास जी महाराज के तैल चित्र पर धूप, दीप, अर्पित करके पुष्प माला अर्पित की गई। समाधि स्थल की परिक्रमा के पश्चात महामंडलेश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज आसन पर विराजित हुए। मठ मंदिर के सभी पुजारीयों ने तिलक लगाकर गुरुदेव जी का चरण पखार करके चरणामृत ली एवं विधिवत पूजा अर्चना करके आशीर्वाद प्राप्त किया। तत्पश्चात नगर एवं आसपास के क्षेत्रों से आए हुए श्रद्धालु भक्तों ने गुरुदेव जी महाराज की पूजा अर्चना करके उन्हें शाल, श्रीफल, ऋतु फल, पुष्पमाला, द्रव्य इत्यादि अर्पित करके बारी-बारी से आशीर्वाद प्राप्त किया। दोपहर 12:00 बजे विशेष पूजा अर्चना की गई जिसमें राज्य भर के अनेक जिलों से पधारे हुए श्रद्धालु भक्तों ने गुरुदेव जी का चरण वंदन करके आशीर्वाद प्राप्त किया।
भोग भंडारा का आयोजन* गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर मठ मंदिर में दोपहर 1:30 बजे भोग भंडारा का आयोजन किया गया जिसमें नगर तथा दूर दराज के क्षेत्र से आए हुए सभी श्रद्धालु भक्तों ने भगवान रघुनाथ जी का भोजन प्रसाद प्राप्त कर अपना जीवन धन्य बनाया।
*दूर-दूर के क्षेत्रों से पहुंचे श्रद्धालु भक्तजन* श्री दूधाधारी मठ राज्य के प्राचीनतम मठ मंदिरों में से एक हैं यहां बहुत से लोग गुरु शिष्य परंपरा से जुड़े हुए हैं। उन्होंने सपरिवार पहुंचकर गुरु जी का दर्शन पूजन करके आशीर्वाद प्राप्त किया। राजेश्री महन्त जी महाराज पुरानी बस्ती जैतू साव मठ में आयोजित दर्शन पूजन के कार्यक्रम में भी सम्मिलित हुए
राज्य के अनेक जिलों से आए हुए श्रद्धालु भक्तों ने गुरुदेव जी से आशीर्वाद प्राप्त किया* इसमें विशेष कर जिला बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा, धमतरी, बलौदा बाजार भाटापारा, दुर्ग, राजनंदगांव, बेमेतरा, जांजगीर चांपा, बालाघाट (मध्य प्रदेश) के नाम उल्लेखनीय हैं। इसके अतिरिक्त नगर एवं आसपास के क्षेत्र से भी लोगों ने बड़ी संख्या में पहुंचकर दर्शन पूजन किया। दर्शन पूजन करने वालों में अनेक अधिकारी, कर्मचारी, कथावाचक, मंदिरों के पुजारी, समाजसेवीयों के नाम शामिल है। उल्लेखनीय है कि धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि *गुरु बिन भव निधि तरिय न कोई। जो बिरंचि संकर सम होई।।* अर्थात बिना गुरु की कृपा के कोई भी जीवात्मा इस भवसागर रुपी समुद्र से पर नहीं जा सकता! चाहे वह साक्षात ब्रह्म या शंकर के सदृश्य ही क्यों ना हो ?