आदिवासी महिलाओं ने दिखाया शिक्षा का जज़्बा बकरी छोड़ किताब पकड़ी

(बबलू तिवारी)
JASPUR। उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत देशभर में अनपढ़ लोगों को साक्षर बनाने का अभियान तेजी से चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में जशपुर (JASPUR) जिले के आदिवासी क्षेत्र में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है, जहां महिलाएं अपने गोद में छोटे बच्चे लेकर भी शिक्षा के प्रति अपनी लगन दिखा रही हैं। वही गांव की ग्रामीण महिलाएं रोजाना की भांति अपनी रोजी रोटी हेतु बकरी पालने जंगल जाने के बजाय स्कूल पहुंच ककहरा सीखती नजर आई।स्कूल में बच्चों को गोद में लेकर बैठी मां , स्कूल के बाहर ग्रामीण महिलाओं द्वारा बकरी को बांधकर बैठने का अलग ही नजारा दिखा। इस योजना का उद्देश्य अनपढ़ों को इतना साक्षर बनाना है कि वे कम से कम अपना नाम लिख सकें और अंगूठा छाप कहलाने से बचें।
दरअसल, विकासखण्ड स्रोत समन्यवक वेदानंद आर्य ने बताया कि जशपुर की आदिवासी महिलाएं इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। विकासखण्ड स्त्रोत समन्यवक वेदानंद आर्य ने बताया कि पूरे जिले में कुल के लिए 856 केंद्र बनाए गए है जिनमें 19,851 निरक्षरों को पढ़ाया जा रहा है ।
शिक्षा के प्रति उनके इस जज़्बे को देखकर गांव में एक नई जागरूकता की लहर दौड़ गई है। महिलाएं अपनी घरेलू जिम्मेदारियों को संभालते हुए भी स्कूलों में पढ़ाई करने पहुंच रही हैं। गुरुजी न केवल इन्हें ककहरा सिखा रहे हैं, बल्कि शिक्षा का महत्व भी समझा रहे हैं। महिलाओं का कहना है कि वे अब अंगूठा छाप कहलाना नहीं चाहतीं और अपने बच्चों की पढ़ाई में मदद करने के लिए कम से कम अक्षर और गिनती सीखने का संकल्प ले चुकी हैं। शिक्षा से सशक्तिकरण की ओर यह अभियान न केवल इन महिलाओं को साक्षर बना रहा है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने की राह पर भी ले जा रहा है। नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत जशपुर और आसपास के गांवों में धीरे-धीरे शिक्षा का यह दीपक जल (Light the lamp of education) रहा है, जो आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को भी रोशन करेगा।