BALODA BAZAR NEWS: आयोग के आड़ में अवैध कार्य स्वीकार्य नही,घरेलू आपसी मन मुटाव का समामाधान परिवार के बीच ही किया जाए- डॉ किरणमयी नायक
आयोग ने करवाया भाई बहनों में सुलह, बहन को मिला इंसाफ समाज को तलाक देने का नहीं है अधिकार,ना ही ऐसे तलाक है विधि मान्य
(रौनक साहू)
BALODA BAZAR NEWS: छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक की अध्यक्षता एवं सदस्यगण सुश्री डॉ अनीता रावटे ने आज प्रदेश स्तर में 238 वीं एवं जिला स्तर में 6 वीं नम्बर की सुनवाई जिला पंचायत के सभागार में की गई। सुनवाई में आज कुल 41 प्रकरण रखे गये थे। जिसमें 17 प्रकरणों के आवेदक उपस्थित रहे एवं उनकी सुनवाई की गयी। उसमें से आज 7 प्रकरणों को निराकरण करते हुए नस्तीबद्ध किया गया। साथ ही कुछ प्रकरणों को सुनवाई हेतु रायपुर स्थानन्तरण किया गया है।
डाॅ. नायक ने महिलाओं को समझाईश देते हुए कहा कि घरेलू आपसी मनमुटाव का समाधान परिवार के बीच किया जा सकता है। घर के बड़े बुजुर्गों का सम्मान एवं आपसी सामंजस्य सुखद गृहस्थ के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही आयोग के आड़ में अवैध कार्य को किसी भी तरह से स्वीकार्य नही किया जाएगा। जिला कार्यालय के सभाकक्ष में आयोजित सुनवाई में मुख्य रूप से महिलाओं से मारपीट मानसिक शारीरिक दैहिक प्रताड़ना कार्यस्थल पर प्रताड़ना दहेज प्रताड़ना से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की गई। इसके साथ ही उन्होने समाज के नाम में जबरदस्ती तलाक दिलाने एवं बहिस्कृत, हुक्का पानी बंद करने वालो को चेताते हुए कहा कि सभ्य समाज में इस तरह की असमाजिक कार्य बर्दाश्त नही की जाएगी। समाज के नाम में दिए गए तलाक किसी भी स्थिति में मान्य नहीं है। ऐसे कार्य पूर्णत गैरकानूनी है।
आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि इसे चारों भाई अनावेदक गणों के द्वारा कोई भी भरण- पोषण नहीं दिया जा रहा है तथा सभी जमीन को आपस में बांट लिए हैं। और आवेदिका को बिलकुल भी सहयोग नहीं करते हैं। अनावेदक क्र.1 के बेटे ने नेशनल लोक अदालत के आदेश दिनांक 11 सितंबर 2021 का प्रति प्रस्तुत किया,जिसके अनुसार चारों अनावेदकगणों द्वारा आवेदिका को प्रतिवर्ष 8000 रूपये देना था। जिसे अब तक दो वर्ष में 1 भी किश्त नहीं दिए हैं। जो न्यायालय के आदेश का अवमानना का प्रकरण बनता है। इस स्तर पर अनावेदक 1, 2 और 4 तीनों ने आवेदिका को पिछले 2 वर्ष का बकाया राशि कुल 16 हजार रूपये दो किश्त में देना स्वीकार किया है। तथा अनावेदक क्र.3 लोक अदालत के निर्णय मानने से इंकार कर रहा है। जिसके खिलाफ आवेदिका चाहे तो सखी सेंटर के निःशुल्क सहायता से न्यायालय में कार्यवाही करवा सकती है। अनावेदक क्र. 1, 2 एवं 4 द्वारा दो वर्ष का बकाया 16 हजार रूपये दो किश्तों में अप्रैल 2024 तक प्रति व्यक्ति 16 हजार रूपये आवेदिका के खाते में जमा करेंगे। तथा अनावेदक 3 इस वर्ष का 10000 रूपये इस वर्ष फरवरी 2024 में जमा करेगा। तथा शेष अनावेदकगण वर्ष 2024 का 10 हजार रूपये का भुगतान नवम्बर 2024 तक करेंगे तथा इसकी पुरी निगरानी एक वर्ष तक संरक्षण अधिकारी द्वारा किया जायेगा व रिपोर्ट आयोग को भेजी जायेगी।
उस रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण भविष्य में नस्तीबद्ध किया जायेगा। अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसका पति मारपीट करता है, ठीक से भरण पोषण भी नहीं करता इस कारण आवेदिका साथ नहीं रहना चाहती और एक मुश्त भरण पोषण की मांग करते हुए तलाक चाहती है। इस प्रकरण में संरक्षण अधिकारी प्रतिमाह दोनों पक्षों को बुलाकर देखरेख करेगी। फिर भी सुलह न हो तो आपसी राजीनामा के साथ दोनों का एक मुश्त भरण पोषण दिलाकर निःशुल्क तलाक हेतु प्रक्रिया करवायेगी। उसी तरह एक बहुचर्चित मामले जिसमें एक अधिकारी जहां जाते है वहा शादी कर लेते है। उस प्रकरण के मामले में आवेदिका कसडोल निवासी के शिकायत पर आयोग ने डीएनए टेस्ट कराया गया। जिस पर रिपोर्ट निगेटिव आया है। आवेदक बेटी उनका जैविक संतान नही होना पाया गया है। जिस पर उक्त केस को नस्ती बद्ध किया गया है। इसी तरह अन्य प्रकरण में अनावेदक क्र. 1 व 2 में आवेदिका को छोड़ दिया है और आवेदिका को भरण पोषण भी नहीं दे रहे है।
सामाज का दबाव डालने के लिए सामाज ने भी छोड़ रखा है शेष अनावेदक जानबूझ कर अनुपस्थित रहे है। इन सब की आवश्यक उपस्थिती कराने हेतु प्रकरण को एसडीओपी निधि नाग को दिया गया। वह दो माह के अंदर सभी अनावेदक गणों को बुलाकर आवेदिका के साथ सामाजिक छोड़-छुट्टी मामले का निराकरण 02 माह के अन्दर करके आयोग को प्रेषित करेंगी। उसके बाद इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया जायेगा।
इसी तरह सुनवाई दौरान जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास विभाग टिकवेंद्र जाटवर,एसडीओपी निधी नाग अन्य विभागीय अधिकारी गण उपस्थित थे। साथ ही आयोग की सुनवाई के दौरान आवेदक अनावेदक सहित जनप्रतिनिधि गण उपस्थित थे।